स्वास्थ्य मंत्री सहित 70 हजार लोगों ने ऑर्गन डोनेशन के लिए कराया रजिस्ट्रेशन, आप भी ले सकते हैं संकल्प
पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर से 15-दिनों का 'सेवा पखवाड़ा' शुरू किया गया था। मृतकों का अंगदान इसका एक बड़ा फोकस रहा है क्योंकि हर साल सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें पीड़ितों को अंगों की जरूरत पड़ती है।
ऑर्गन डोनेशन
Organ Donation: आयुष्मान भव: अभियान के तहत देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया सहित 70000 लोगों ने अब तक ऑर्गन डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यह आंकड़ा तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है सबसे ज्यादा ऑर्गन डोनेशन के लिए महाराष्ट्र से लोगों ने इसमें भागीदारी है। महिलाओं की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है। सबसे ज्यादा लोगों ने हार्ट डोनेट करने के लिए रजिस्टर कराया है।
15-दिनों का 'सेवा पखवाड़ा'
पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर से 15-दिनों का 'सेवा पखवाड़ा' शुरू किया गया था। मृतकों का अंगदान इसका एक बड़ा फोकस रहा है क्योंकि हर साल सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें पीड़ितों को अंगों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर लोग अपने ऑर्गन डोनेट करते हैं तो यह किसी को जीवनदान दे सकता है। आप भी https://notto.abdm.gov.in/ पोर्टल पर जाकर ऑर्गन डोनेशन के लिए संकल्प ले सकते हैं।
ये अंग किए जा सकते हैं डोनेट
फेफड़े, हार्ट, लिवर, पैंक्रियाज, छोटी आंत और किडनी डोनेट किए जा सकते हैं। वहीं कॉर्निया हड्डी, हार्ट वाल्व, स्किन, अग्न्याशय आइलेट्स, तंत्रिकाएं और नसें की टिशू को डोनेट किया जा सकता है। जो भी ऑर्गन डोनेशन करना चाहता है उसकी मौत के बाद आधार कार्ड की मदद से यह हो सकता है, जिससे करोड़ों लोगों को जीवनदान मिल सकता है। ऑर्गन डोनेशन के साथ आपको आधार का वेरिफिकेशन करवाना होगा, जिसमें आपसे जुड़ी हर तरह की जानकारी साझा होगी। आधार के जुड़ने के लिए आपके मोबाइल पर ओटीपी आएगा और वेरिफिकेशन के बाद ऑर्गन डोनेशन का सत्यापन हो पाएगा। इसके बाद एक ऑनलाइन कार्ड जेनरेट होगा, जिसे आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
वहीं, ऐसा पाया गया है कि कई बार आदमी अपना ऑर्गन डोनेट कर देता है, लेकिन उसके परिजनों को पता नहीं चल पाता है, ऐसे में यदि किसी शख्स की मौत अस्पताल में होती है तो अस्पताल प्रशासन उसके आधार कार्ड को चेक करके यह पता कर सकता है कि क्या उसने अंग डोनेट किया है या नहीं। यदि उसने ऑर्गन डोनेशन का फॉर्म भरा हुआ है, तो इसका मतलब यह है कि उसकी मौत के बाद भी उसकी इच्छा को पूरी की जा सकती है।
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भावना किशोर author
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़...और देखें
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