UP में BJP की हार पर मची रार, 15 पेज की आई रिपोर्ट, हार की बताई ये बड़ी वजहें
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 की तुलना में पार्टी को दलितों का एक तिहाई वोट ही मिल पाया। बीएसपी का कोर वोटर जाटव और 2014 से बीजेपी को मिलने वाले खटिक और पासी समाज के वोटर शेयर में अच्छी खासी कमी आई है।
यूपी में हार पर रिपोर्ट
BJP UP Defeat Report: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कमजोर प्रदर्शन से पार्टी में अंदरुनी खींचतान मची हुई है। सरकार और संगठन का मुद्दा सामने आने लगा है। डिप्टी-सीएम केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी और जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात की खबरों के बीच अब चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर रिपोर्ट सामने आई है। सूत्रों के अनुसार यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव नतीजों पर यूपी की 80 सीटों पर भाजपा के 40 हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर 15 पेज की रिपोर्ट तैयार की है। यूपी में खराब नतीजों को लेकर भूपेंद्र चौधरी ने पिछलें दो दिनों में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात कर फीडबैक रिपोर्ट दी और विस्तृत चर्चा भी की है।
पार्टी के वोट शेयर में लगभग 8 प्रतिशत की कमी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी छह क्षेत्रों को मिलकर पार्टी के वोट शेयर में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम और काशी क्षेत्रों में पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया, जहां उसे 28 में से सिर्फ आठ सीटें मिलीं। ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिलीं। गोरखपुर में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं। कानपुर-बुंदेलखंड में भाजपा अपनी मौजूदा सीटें वापस पाने में विफल रही, उसे 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिलीं।
अध्यक्ष ने रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए ये कारण बताए - प्रदेश में अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी
- सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष
- पिछलें 6 साल लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक होना
- राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में संविदा कर्मियों को भर्ती सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता मिलने से विपक्ष के आरक्षण खत्म करने जैसें मुद्दे को बल मिला है।
- राजपूतों समाज की पार्टी से नाराजगी
- संविधान बदलने के मुद्दे पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान
- सरकारी अधिकारियों में पुरानी पेंशन का मुद्दा
- अग्निवीर इस चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया
चुनावी अधिकारियों की मनमानी
पार्टी का मानना है कि निचले स्तर पर चुनावी अधिकारियों द्वारा बीजेपी के कोर मतदाताओं के वोटर लिस्ट में नाम काटे गए हैं। सभी सीटों पर 30 हजार से 40 हजार पार्टी के कोर वोटर के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए। रिपोर्ट में यें भी कहा गया हैं कि इस चुनाव में गैर-यादव ओबीसी यानी कुर्मी, कोरी, मौर्य, शाक्य और लोध जातियां से बीजेपी को मिलने वाले वोट प्रतिशत में कमी आई हैं।
दलित-पिछड़ों के वोटों में भारी कमी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 की तुलना में पार्टी को दलितों का एक तिहाई वोट ही मिल पाया। बीएसपी का कोर वोटर जाटव और 2014 से बीजेपी को मिलने वाले खटिक और पासी समाज के वोटर शेयर में अच्छी खासी कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी ऊपर दिए सभी कारणों को समय रहते ठीक कर लें। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी अधिकारियों और प्रशासन में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार होगा तों प्रदेश में आने वाले 10 सीटो पर उपचुनाव हों या नगर निगम, निकाय या जिला पंचायत चुनाव, भाजपा का प्रदर्शन अच्छा होगा और हम जीतेंगे।
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