Mulayam Singh Yadav का वह ऐतिहासिक फैसला, जिस कारण आज शहीदों की टोपी नहीं बल्कि पार्थिव शरीर पहुंचता है घर
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव जून 1996 से लेकर मार्च 1998 तक देश के रक्षामंत्री भी रहे। उनका एक फैसला आज भी याद रखा जाता है जिसे ऐतिहासिक फैसला भी कहा जाता है।
मुलायम सिंह ने रक्षा मंत्री के रूप में भी निभाई थी जिम्मेदारी
- 22 नवंबर 1939 को यूपी के इटावा जिले में हुआ था मुलायम सिंह यादव का जन्म
- 6 दशक तक राजनीति करने वाले मुलायम सिंह ने निभाई कई अहम जिम्मेदारियां
- देश के रक्षामंत्री के रूप में मुलायम ने लिया था ऐतिहासिक फैसला
Mulayam Singh Yadav Death: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गुरुग्राम में 82 साल की उम्र निधन हो गया। सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर उन्होंने मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। पिछले काफी वक्त से मुलायम सिंह यादव बीमार थे। देश के पूर्व रक्षामंत्री (Defence Minister) मुलायम सिंह यादव को 22 अगस्त को गुरुग्राम (Gurugram) के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में भर्ती कराया गया था। 2 अक्टूबर से वो वेंटिलेटर पर थे। जब से मुलायम सिंह यादव अस्पताल में भर्ती हुए थे तब से लगातार उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी बेहतर सेहत के लिए पूजा-प्रार्थना कर रहे थे। मुलायम सिंह यादव के निधन पर पीएम मोदी (PM Modi) ने दुख जताया।
रहे थे देश के रक्षामंत्री6 दशक से अधिक समय तक राजनीति करने वाले मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे। एक शिक्षक के रूप में अपने करियर शुरू करने वाले मुलायम सिंह यादव जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखते थे और राजनीति के अखाड़े में बाद में उन्होंने कई दिग्गजों को शिकस्त दी थी। 90 के दशक में जब देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था तो मुलायम इसी दौरान देश के रक्षा मंत्री बने। 1996 से मार्च 1998 तक वह देश के रक्षामंत्री रहे और अपने कार्यकाल में उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया जो ऐतिहासिक बन गया।
लिया था ये फैसलाआप आज देखते होंगे कि अगर कोई भी जवान शहीद होता है तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके घर पर पहुंचता है, लेकिन शायद आपको नहीं पता होगा कि पहले शहीद जवानों के घर उनके शरीर की जगह टोपी पहुंचाई जाती थी और यह व्यवस्था आजादी के बाद कई सालों तक चलती रही। मुलायम सिंह जब रक्षामंत्री बने तो उन्होंने कानून बनवाया कि अगर कोई भी सैनिक शहीद होता है तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर तक पूरे राजकीय सम्मान के साथ पहुंचाया जाए और यही वजह है कि आज हर शहीद जवान का पार्थिव शरीर उसके घऱ तक ससम्मान तरीके से पहुंचता है।
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