कुनो राष्ट्रीय पार्क में मादा चीता ‘दक्षा’ की मौत, 40 दिनों में तीसरे चीते की गई जान
इससे पहले 23 अप्रैल को 'उदय' (Cheetah Uday) नाम के चीते की मौत हो गई थी। उसे दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
कूनो पार्क में चीता की मौत
Cheetah Died in Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय पार्क में मादा चीता ‘दक्षा’ की मौत हो गई है। वन अधिकारी ने कहा कि करीब 40 दिनों में तीसरे चीते की मौत हुई है। मार्च और अप्रैल में दो चीतों की मौत हो चुकी है।
चीता पुनर्स्थापन परियोजना के तहत सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीतों और इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के केएनपी में स्थानांतरित किया गया था। इन 20 चीतों में से तीन चीतों की मौत हो गई है, जिससे इनकी संख्या घटकर 17 रह गई है।
इससे पहले 23 अप्रैल को 'उदय' (Cheetah Uday) नाम के चीते की मौत हो गई थी। उसे दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। डॉक्टरों ने उसे बीमार पाया था और मौके पर ही उसका इलाज किया था। इसके बाद 'उदय' को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था, लेकिन उसी शाम यानी 23 अप्रैल को चार बजे उदय की मौत हो गई। दक्षिण अफ्रीका से लाए जाने के दो महीने बाद मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में यह दूसरे चीते की मौत थी।
'साशा' की भी पिछले महीने हो गई थी मौत
मार्च 2023 में कूनो नेशनल पार्क में चीते साशा की मौत की खबर आई थी। इसे पिछले साल ही नामीबिया से लाया गया था और पीएम मोदी ने इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। साशा बीते लंबे समय से बीमार चल रही थी और इसी बीमारी की वजह से उसकी मौत हुई थी।
चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं
बता दें कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया था कि मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में अफ्रीका से लाए गए चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। कुछ वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक चीता को 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है। केएनपी का 'कोर एरिया' 748 वर्ग किलोमीटर और बफर जोन 487 वर्ग किलोमीटर है। डब्ल्यूआईआई के पूर्व डीन यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला ने बताया कि केएनपी के पास इन चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। झाला पहले चीता पुनर्स्थापन योजना का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इन चीतों के लिए 750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर्याप्त नहीं है। हमें चीतों की आबादी बढ़ानी भी होगी। इसलिए हमें इन चीतों को देश में तीन-चार जगह रखना बहुत आवश्यक है।
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अमित कुमार मंडल author
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