Kanwar Yatra 2024: 'एक नयी नाम पट्टिका पर लिखा जाए- सौहार्दमेव जयते', सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दी सलाह
Kanwar Yatra 2024: उच्चतम न्यायालय ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव
Kanwar Yatra Route 2024: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाले भोजनालयों पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश पर उच्चतम न्यायालय की ओर से सोमवार को अंतरिम रोक लगाये जाने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि एक नयी नाम पट्टिका पर 'सौहार्दमेव जयते' लिखा जाना चाहिये।
यादव ने उच्चतम न्यायालय का आदेश आने के बाद सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, 'एक नयी नाम पट्टिका पर लिखा जाए : सौहार्दमेव जयते।' न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया और उनसे निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने को कहा।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों के निर्देश को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स', सांसद एवं तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।अदालत मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगी।
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राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने भी कड़ा विरोध किया था
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने हाल में आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था। इसके अलावा मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उज्जैन नगर निगम ने भी दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का शनिवार को निर्देश दिया था।इस आदेश का सपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ केन्द्र की भाजपा नीत गठबंधन सरकार में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने भी कड़ा विरोध किया था।
'ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं'
मोइत्रा ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार तथा उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
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