जो सिंधु घाटी लिपि को करेगा डिकोड, उसे तमिलनाडु सरकार देगी 10 लाख अमेरिकी डॉलर
सिंधु लिपि, जिसे हड़प्पा लिपि और सिंधु घाटी लिपि के नाम से भी जाना जाता है, इसमें ऐसे प्रतीक हैं, जिन्हें आजतक डिकोड नहीं किया जा सका है। विद्वान इसे डिकोड करने में लगे हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है।
सिंधु घाटी सभ्यता लिपि (फोटो- Wikimedia Commons)
सिंधु घाटी सभ्यता को लेकर कई रहस्य अभी भी अनसुलझे हैं, उसी में से एक है सिंधु घाटी लिपि, जिसे अभी तक डिकोड नहीं किया जा सका है। अगर इसे सुलझा लिया जाए तो सिंधु घाटी के कई रहस्य सामने आ सकते हैं। इसी लिपि को डिकोड करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने एक बड़ी राशि देने की घोषणा की है।
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10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को यहां कहा कि सिंधु घाटी लिपि एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है और उन्होंने इसे पढ़ने वाले को 10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार देने की घोषणा की। सिंधु सभ्यता की खोज के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘हम अब भी सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को स्पष्ट रूप से समझने में असमर्थ हैं।’’
अभी भी जारी है प्रयास
उन्होंने कहा कि इसे समझने का विद्वान आज भी प्रयास कर रहे हैं और ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर इस लिपि की पहेली को सुलझाने वाले व्यक्तियों या संगठनों को 10 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार दिया जाएगा। सिंधु सभ्यता, जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, अपनी शहरी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है और इसकी लिपि को अब तक पढ़ा नहीं जा सका है।
क्या है सिंधु लिपि
सिंधु लिपि, जिसे हड़प्पा लिपि और सिंधु घाटी लिपि के नाम से भी जाना जाता है, सिंधु घाटी सभ्यता द्वारा निर्मित प्रतीकों का एक संग्रह है। इन प्रतीकों वाले अधिकांश शिलालेख बेहद छोटे हैं, जिनमें से किसी की भी पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है। कई प्रयासों के बावजूद, "लिपि" को अभी तक नहीं समझा जा सका है। लिपि को समझने में मदद करने के लिए कोई ज्ञात द्विभाषी शिलालेख नहीं है, जो समय के साथ कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं दिखाता है।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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