26 जनवरी के दिन कुल 21 तोपों की सलामी, जानें क्या है इसके पीछे का राज

26 जनवरी के दिन आप 21 तोपों को आवाज को सुनते हैं। क्या गोलों को दागने में 21 तोपें इस्तेमाल में लाई जाती हैं या उनकी संख्या कम होती है। इस राज से यहां पर पर्दा उठाएंगे।

गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी

26 जनवरी का दिन भारत के इतिहास में खास है। इस खास दिन राजपथ(अब कर्तव्य पथ) देश की आन बान शान की गवाह पूरी दुनिया बनती है। सशस्त्र सेनाओं का शौर्य और भारत की सांस्कृतिक झलक एक पथ पर एक दूसरे के पीछे कतार में देश की कामयाबी के सफर की कहानी कहती है। इस खास दिन 21 तोपों से सलामी दी जाती है। अब सवाल यह है कि क्या सलामी देने में 21 तोपों का इस्तेमाल किया जाता है या बात कुछ और है। यहां पर हम 21 तोपों की सलामी के पीछे के राज को बताएंगे।

सात तोप से दागे जाते हैं 21 गोले

दरअसल गणतंत्र दिवस परेड पर 21 तोपों की जगह आठ तोपों का इस्तेमाल किया जाता है। उन आठ तोपों में भी सात तोप का इस्तेमाल होता है, शेष एक तोप को इमरजेंसी के लिए रखा जाता है। हर एक तोप से तीन गोले दागे जाते हैं। इस तरह से कुल सात तोपों से 21 गोले दागे जाते हैं। हर एक गोले को दागने में करीब 2.25 सेकेंड लगता है। जैसा कि हम जानते हैं कि राष्ट्रगान को पूरा करने में कुल 52 सेकेंड लगते हैं। लिहाजा उसी हिसाब से गोलों को दागने की समय सीमा भी है। ताकि राष्ट्रगान के शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक कुल 52 सेकेंड में सभी 21 गोलों को दागा जा सके।

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