पनडुब्बियों का 'काल' अभय एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट नेवी में शामिल, जानें खासियत

भारतीय नौसेना के बेड़े में एक और एंटी सबमरीन वाॅरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को शामिल किया गया है। शुक्रवार को भारतीय नौसेना में यह समुद्री जहाज (शैलो वॉटर क्राफ्ट) 'अभय' शामिल किया गया।

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एक और एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट नेवी में शामिल (फोटो- Indian Navy)

भारतीय नौसेना में आधुनिकीकरण के साथ-साथ स्वदेशीकरण का बढ़ावा देते हुए एक और एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को शामिल किया गया है। पनडुब्बियों के लिए काल अभय एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को शुक्रवार को आधिकारिगक रूप से इंडियन नेवी को सौंप दिया गया।

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सातवीं एंटी सबमरीन शैलो वॉटर क्राफ्ट

भारत का यह एंटी सबमरीन वाॅरफेयर शैलो वॉटर जहाज लगभग 77 मीटर लंबा है। इस शैलो वॉटर क्राफ्ट की अधिकतम गति 25 नाॅट व इसकी सहनशक्ति 1800 एनएम है। रक्षा मंत्रालय ने इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि नौसेना के लिए यह सातवीं एंटी सबमरीन शैलो वॉटर क्राफ्ट है। भारतीय नौसेना के लिए इसका निर्माण मेसर्स जीआरएसई द्वारा किया गया है। अभय का शुक्रवार को मेसर्स एलएंडटी, कट्टुपल्ली में लोकार्पण किया गया।

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में निर्माण

भारतीय नौसेना के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (पूर्व) वीएडीएम राजेश पेंढारकर ने की। समुद्री परंपरा को ध्यान में रखते हुए, पूर्वी क्षेत्र की एनडब्ल्यूडब्ल्यूए अध्यक्ष संध्या पेंढारकर ने जहाज का लोकार्पण किया। रक्षा मंत्रालय और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के बीच अप्रैल 2019 में आठ एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।

80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अर्नाला श्रेणी के समुद्री जहाज भारतीय नौसेना की सेवा में तैनात अभय श्रेणी के एएसडब्ल्यू कॉर्वेट की जगह लेंगे। इन्हें तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियान, कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (एलआईएमओ) और माइन लेइंग ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक नौसेना के इस अत्याधुनिक समुद्री जहाज 'अभय' का लोकार्पण आत्मनिर्भर भारत के प्रति राष्ट्र के संकल्प को दर्शाता है। गौरतलब है कि इस वाॅरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट के निर्माण में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा किया जाता है, जिससे देश की रोजगार और क्षमता में वृद्धि होती है।

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शिशुपाल कुमार author

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