Adi Kailash Parvat: भारत से ही होंगे आदि कैलाश के दर्शन, अब नहीं जाना पड़ेगा चीन, लोगों ने की सरकार की सराहना
Adi Kailash Parvat: आदि कैलाश की यात्रा के लिए वीजा बनाकर धारचूला के रास्ते चीन पहुंचकर जाना पड़ता था। लेकिन सरकार ने एक व्यवस्था करने जा रही है जिससे धारचूला के पुरानी लिपुलेख की चोटी से ही आदिकैलाश पर्वत के दर्शन कराए जायेंगे। इससे धारचूला में पर्यटन विकसित होगा।
आदि कैलाश पर्वत, (तस्वीर सौजन्य- Adi Kailash Yatra @Om_Namahtourism ट्विटर)
Adi Kailash Parvat: भारत चीन सीमा के अंतिम छोर पर स्थित ओल्ड लिपुलेख से ही आदि कैलाश के र्दशन कर पाएंगे। बता दें कि अभी तक यात्रियों को आदि कैलाश यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय से वीजा बनाकर धारचूला के रास्ते चीन पहुंचकर आदि कैलाश की यात्रा करनी पड़ती थी लेकिन अब ओल्ड लिपुलेख से ही आदि कैलाश के दर्शन कर पाएंगे। ओल्ड लिपुलेख की चोटी पर पहुंचने के बाद पर्यटन विभाग के अधिकारियों को आदि कैलाश पर्वत के हुए मनमोहक दर्शन हुए है।
जिला पर्यटन अधिकारी विभाग की टीम ने नाभीढांग से नौ किमी की वाहन से यात्रा करने के बाद 1.8 किमी की कठिन खड़ी चढ़ाई पार कर पुरानी लिपुलेख की चोटी (18 हजार फीट) पर पहुंचे। चोटी पर पहुंचने के बाद कैलाश पर्वत के मनमोहक दर्शन हुए। उन्होंने चोटी पर बहुत तेज हवाएं चलने की बात भी बताई। उन्होंने बताया कि पैदल मार्ग ठीक करने बाद यात्रियों को यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
एसडीएम धारचूला दिवेश शाशनी ने बताया की सचिव पर्यटन के निर्देश पर संयुक्त टीम ने लिपुलेख, ओम पर्वत और आदि कैलाश तक का निरीक्षण किया। शीघ्र ही संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर पर्यटन विभाग को भेजी जाएगी, जिससे धारचूला के पुरानी लिपुलेख की चोटी से ही आदिकैलाश पर्वत के दर्शन कराए जायेंगे जिससे धारचूला में पर्यटन विकसित होगा।
स्थानीय लोगों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ज्योलिकांग से 20 से 25 किमी पैदल यात्रा कर लिंपियाधुरा की चोटी से भी बड़ा कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। उनका कहना है कि सरकार को पुरानी लिपुलेख चोटी और लिंपियाधुरा दोनों मार्ग विकसित कर यात्रा शुरू करनी चाहिए। इससे शिव भक्तों को भारतीय सीमा से ही बड़े कैलाश पर्वत के दर्शन हो जाया करेंगे। साथ ही व्यास घाटी में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
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