'Adipurush' की संतों तक आंच! धार्मिक सेंसर बोर्ड बनाने की मांग; कहा- जिन्हें समझ नहीं वे...

तीन अक्टूबर, 2022 को भगवान राम के चरित्र पर आधारित फिल्म आदिपुरुष का टीजर रामलला की जन्मस्थली अयोध्या धाम के राम की पैड़ी पर रिलीज किया गया था। टीजर में प्रभु राम की छवि, हनुमान की कॉस्ट्यूम, रावण का किरदार और परिधान-वेशभूषा को लेकर आपत्ति जताई गई। आरोप हैं कि फिल्म में सनातन धर्म और संस्कृति को जिस ढंग से दिखाया गया, वह गलत और आपत्तिजनक है।

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

फिल्म आदिपुरुष पर विवाद फिलहाल गरमाया है। मामले की आंच साधु-संतों तक पहुंच गई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश (यूपी) में अयोध्या के संतों ने धार्मिक सेंसर बोर्ड के गठन की मांग की है। इस बीच, आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि सभी लोगों को पता है कि किस तरीके से फिल्मों में सनातन धर्म और संस्कृति का अनादर किया जा रहा है, लिहाजा उस फिल्म के जो निर्माता या डायरेक्टर हैं, उनको एक पत्र के माध्यम से एक बार सुधार करने का अवसर दिया जाएगा। ऐसे में वह इसमें सुधार कर लें।

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उन्होंने कहा कि अगर वह सुधार कर लेते हैं तो कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन भविष्य में ऐसी फिल्में बनती हैं तो उसके लिए एक धार्मिक बोर्ड बनना बहुत जरूरी है। दास के मुताबिक, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली फिल्म न बने, इसपर चर्चा की जरूरत है। साथ ही आवश्कता के मुताबिक पीएम नरेद्र मोदी के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर राजनाथ सिंह से भी मिलकर धार्मिक सेंसर बोर्ड बनाने पर बात की जाएगी, जिससे फिल्मों को लेकर धार्मिक विवादों को समाप्त किया जा सके।

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रामनगरी के राम घाट में चर्चित संत जगत गुरु स्वामी परमहंस दास ने भी प्रधानमंत्री को खत लिखकर मांग की है कि जिस तरीके से देश में सेंसर बोर्ड है उसी तरीके से देश में एक धार्मिक सेंसर बोर्ड का गठन हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि फिल्म आदिपुरुष में सनातन धर्म का रूप बिगाड़ कर दिखाया गया है। संत दास ने कहा कि लगातार देखा जा रहा है जिनको धर्म की कोई समझ नहीं है वो कोई भी वेब सीरीज और फिल्म बना देते हैं। सनातन धर्म को मानने वाले इससे आहत हैं और आवाज उठा रहे हैं, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में फिर से ना हों।

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