ISRO फिर इतिहास रचने के करीब, Aditya L1 आज करेगा आखिरी ऑर्बिट में प्रवेश, दुनिया की नजरें भारत पर
Aditya-L1 Mission: सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला आदित्य-एल1 को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
आदित्य एल 1 मिशन
Aditya-L1 Mission: 6 जनवरी का दिन रतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और आदित्य एल1 (Aditya-L1) के लिए बेहद अहम है। आज आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान के लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) तक पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। इसरो आज अंतरिक्ष यान को L1 के चारों ओर आखिरी कक्षा में भेजने की अहम कोशिश करेगा। सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला आदित्य-एल1 को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इसके बाद, बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) ने 3 सितंबर से 15 सितंबर के बीच चार पृथ्वी-संबंधी अभ्यास किए।
L1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर
19 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 ने ट्रांस-लैग्रेन्जियन1 अभ्यास किया, जो एल1 बिंदु के आसपास गंतव्य के लिए अपने 110-दिवसीय प्रक्षेप पथ की शुरुआत का प्रतीक है। L1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है और पृथ्वी से L1 की दूरी पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है। 6 जनवरी को लगभग शाम 4 बजे ISTRAC के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स के इसरो वैज्ञानिक और इंजीनियर महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अंजाम देंगे जो आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक कक्षा में बांध देगा।
बिना बाधा को सूर्य के सामने होगा यान
अंतरिक्ष यान की प्रणोदन प्रणाली में 440 न्यूटन लिक्विड अपोजी मोटर (LAM) इंजन और आठ 22 न्यूटन थ्रस्टर और चार 10 न्यूटन थ्रस्टर शामिल हैं जिन्हें आदित्य एल1 को ऑर्बिट में भेजने की प्रक्रिया के दौरान रुक-रुक कर चलाया जाएगा। इसरो के अनुसार L1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण सूर्य को देखने का लाभ मिलेगा। इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का भी मौका मिलेगा।
क्या-क्या करेगा आदित्य-L1
आदित्य-एल1 विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लेकर गया है। L1 के विशेष सुविधाजनक बिंदु का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और बाकी तीन पेलोड L1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करेंगे। आदित्य-L1 का मिशन जीवन पांच साल का है, जिसके दौरान इसके पेलोड कोरोनल हीटिंग की वजह, कोरोनल मास इजेक्शन, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कणों और क्षेत्रों का प्रसार जैसी गतिविधियों को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
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