कितना खास है आदित्य-एल1 सौर मिशन? सूर्य के अध्ययन पर वैज्ञानिक ने बताई ये 10 बड़ी बातें

Aditya-L1 Mission: वैज्ञानिक ने बताया है कि आदित्य-एल1 सौर मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण छलांग है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। कई विशेषज्ञों ने मिशन के सफल प्रक्षेपण और विज्ञान एवं मानवता के लिए इसके महत्व की सराहना की।

आदित्य-एल1 सौर मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण छलांग है।

Solar Mission News: भारत का महत्वाकांक्षी आदित्य-एल1 मिशन अंतरिक्ष-आधारित सौर अध्ययन में देश के शुरुआती प्रयास का प्रतीक है और यह सूर्य की गतिविधियों और पृथ्वी पर उनके प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। यह बात विशेषज्ञों ने कही। देश के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों ने तब एक महत्वपूर्ण छलांग लगायी, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए सात पेलोड के साथ अपने पहले सौर मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। कई विशेषज्ञों ने मिशन के सफल प्रक्षेपण और विज्ञान एवं मानवता के लिए इसके महत्व की सराहना की।

मिशन सूर्य के अंतरिक्ष-आधारित अध्ययन में भारत का पहला प्रयास

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता में अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र के प्रमुख दिव्येंदु नंदी ने कहा, 'यह मिशन सूर्य के अंतरिक्ष-आधारित अध्ययन में भारत का पहला प्रयास है। यदि यह अंतरिक्ष में लैग्रेंज बिंदु एल1 तक पहुंचता है, तो नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद इसरो वहां सौर वेधशाला स्थापित करने वाली तीसरी अंतरिक्ष एजेंसी बन जाएगी।' अंतरिक्ष यान 125 दिनों में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद, लैग्रेंजियन बिंदु एल1 के आसपास प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किए जाने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।

सूर्य मिशन को क्यों दिया गया है ‘आदित्य एल-1’ नाम?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772’ के लिए रखा गया है। लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी जैसे आकाशीय पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल एक कृत्रिम उपग्रह पर केन्द्राभिमुख बल के साथ संतुलन बनाते हैं। सूर्य मिशन को ‘आदित्य एल-1’ नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा।

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