Aditya L1: आदित्य एल 1 की एक और छलांग, 9.2 लाख KM से अधिक की दूरी तय कर पृथ्वी के प्रभाव से निकला बाहर
Aditya L1: अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक निकलकर, पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है। अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है।
9.2 लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर चुका है आदित्य एल 1 (ISRO)
Aditya L1: आदित्य एल1 ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगा दी है। आदित्य एल 1 अब पृथ्वी के प्रभाव से बाहर निकल गया है। भारत ने अपने पहले सूर्य मिशन के रूप में आदित्य एल को 2 सितंबर को लॉन्च किया था। जिसके बाद से ये लगातार अपने पथ पर बढ़ता चला जा रहा है।
पृथ्वी से कितनी दूर आदित्य एल1
अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक निकलकर, पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है। अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है। यह लगातार दूसरी बार है जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेज सका, पहली बार मंगल ऑर्बिटर मिशन के समय इसरो ने ये कारनाम कर दिखाया था।
बना रिकॉर्ड
वहीं यह लगातार पांचवीं बार है जब इसरो ने किसी वस्तु को किसी अन्य खगोलीय पिंड या अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को तीन बार चंद्रमा और एक बार मंगल की ओर स्थानांतरित किया है।
क्या है भारत का सूर्य मिशन
आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) से निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया गया। उस समय से इसरो ने अंतरिक्ष यान की कक्षा को चार बार बढ़ाया है। जैसे ही अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकलने के बाद लैग्रेंज प्वाइंट (एल1) की ओर यात्रा करेगा, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा। फिर, इसे एल1 के चारों ओर एक बड़े प्रभामंडल कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा। लॉन्च से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 1.5 मिलियन किमी होगी।
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