रामपुर तिराहा फायरिंग: 29 साल बाद SHO के खिलाफ आरोप तय, अब कैंसर से है पीड़ित
1 अक्टूबर, 1994 की रात यूपी (अब उत्तराखंड) से दिल्ली जा रहे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को मुजफ्फरनगर में पुलिस ने रोक लिया था। इसी दौरान फायरिंग की घटना हुई थी।
रामपुर तिराहा केस में 29 साल बाद आरोपी SHO के खिलाफ आरोप तय
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा केस में 29 साल बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी दरोगा के खिलाफ आरोप तय किए हैं। मामला अलग उत्तराखंड राज्य को लेकर हुए आंदोलनकारियों पर गोली चलाने का है। घटना के करीब 29 साल बाद मुजफ्फरनगर की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रामपुर तिराहा फायरिंग मामले में छपार थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी राजवीर सिंह के खिलाफ आरोप तय किए हैं। राजवीर सिंह (65) पर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के साक्ष्य वाली सामान्य डायरी के पन्ने को फाड़ने का आरोप था।
आरोपी अब कैंसर से पीड़ित
जिला सरकार के वकील राजीव शर्मा ने कहा कि आरोपी एसएचओ पर आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 218 (लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को सजा से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड बनाना या लिखना) का आरोप लगाया गया है। बचाव पक्ष के वकील ज्ञान कुमार के मुताबिक, पूर्व एसएचओ अब कैंसर से पीड़ित हैं और उन्हें अदालत में पेश होने के लिए एंबुलेंस में मथुरा से लाया गया था। कुमार ने कहा कि अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 13 मार्च तय की है।
पिछले हफ्ते अदालत ने 29 साल पुराने मामले में आईपीसी की धारा 376-जी (गैंगरेप), 392 (डकैती), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) में पेश नहीं होने पर 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
बता दें कि 1 अक्टूबर, 1994 की रात यूपी (अब उत्तराखंड) से दिल्ली जा रहे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को मुजफ्फरनगर में पुलिस ने रोक लिया था। शुरुआत में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। इस घटना ने राष्ट्रीय आक्रोश को जन्म दिया और उत्तराखंड के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
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अमित कुमार मंडल author
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