85 साल बाद बांधवगढ़ के जंगल में मिला खजाना, 9वीं सदी से नाता

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट में इस वर्ष मई और जून के बीच उत्खनन का काम संपन्न हुआ था।

85 साल बाद एएसआई ने शुरू किया उत्खनन का काम

मुख्य बातें
  • बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट में उत्खनन
  • 1938 के बाद 2022 में उत्खनन
  • 9वीं सदी के मंदिर और विहार मिले

भारत में धनवान मंदिरों की सूची में एक और मंदिर का नाम जुड़ चुका है। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ स्थित गुफाओं, मंदिरों और कंदराओं के उत्तखनन का काम आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करीब 85 साल बाद कर रहा है। उस क्रम में जब एक मंदिर का उत्खनन किया जा रहा था तो आम लोग हों या खास हर किसी के लिए चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। एएसआई के मुताबिक मंदिर से खजाना मिला है, यही नहीं मंदिर की दीवारों में ब्राह्मी स्क्रिप्ट में कौशांबी और मथुरा का जिक्र है जिससे पता चलता है कि उस समय व्यापार और आपसी संबंध कितने मजबूत थे।

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1938 के बाद 2022 में हुआ उत्खनन1938 में बांधवगढ़ में पुरातनकाली स्मारकों के उत्खनन का काम एएसआई के ऑर्कियोलॉजिस्ट एन पी चक्रवर्ती के निर्देशन में हुई थी। अब जबकि बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट के तौर पर अधिसूचित है उत्खननका काम हो रहा है। जबलपुर सर्किल के सुपरिटेंडेंट ऑर्कियोलॉजिस्ट शिवाकांत वाजपेयी के निर्देशन में इल साल 20 मई से लेकर 27 जून तक उत्खनन का काम हुआ था। इस उत्खनन में 46 नए स्कल्पचप, एकाश्म पत्थर वाली भगवान विष्णु की मूर्ति, ब्राह्मी स्क्रिप्ट में मथुरा और कौशांबी के नाम मिले। इन सभी संरचानाओं का संबंध 9वीं से 10वीं सदी के बीच का है।

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खितौली और मगधी रेंज में भी होगा उत्खननएएसआई के अधिकारियों का कहना है कि 176 वर्ग किमी कोर एरिया में लोगों की आवाजाही ना होने से बौद्ध स्मारकों, हिंदू मंदिर सुरक्षित रहे और उत्खनन में आसानी हुई। खास बात यह है कि उस समय के समाज में बेहतर सामांजस्य था और लोग मिलजुल कर रहा करते थे। बाजपेयी बताते हैं कि पहेल चरण के उत्खनन कार्य में बांधवगढ़ फॉरेस्ट इलाके का पूरा ताला रेंज शामिल था। एएसआई टीम को वोतिव स्तूप भी मिला। उत्खनन के दूसरे और तीसरे चरण में हम बांधवगढ़ के खितौली और मगधी रेंज का दौरा करेंगे।

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