9 साल में नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष क्यों हो गया बौना, तीन प्वाइंट्स में समझें
9 Years of Modi Government: राजनीति में एक कहावत है कि आप कितने मजबूत हैं उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण बात ये कि विरोधी कितना कमजोर है, 2014 और 2019 के चुनावी नतीजों में कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत को उस नजरिए से देखा जाता है।
2014 में नरेंद्र मोदी ने संभाली थी पीएम की कुर्सी
9 Years of Modi Government: 9 साल पहले यानी साल 2014 का यही मई का महीना था और एक शख्स राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहा था जिसका नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी थी। नरेंद्र मोदी का सत्ता में आना यानी बीजेपी(BJP) का सत्ता में आना यानी एनडीए(NDA) का सत्ता में आना इस लिहाज से ऐतिहासिक पल था क्योंकि 1984 के बाद पहली बार कोई सरकार अपने दम पर सत्ता पर काबिज थी। मोदी सरकार(Narendra Modi Government) के पहले पांच साल के कार्यकाल में वैसे तो कई बड़ी घटनाएं हुईं। लेकिन आर्थिक मोर्चे पर 2016 में नोटबंदी(demonetization) के फैसले को आत्मघाती बताया गया। लेकिन महज तीन से चार महीने बाद देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी में विधानसभा चुनाव हुए और नतीजे जब सामने आए तो राजनीति की बेहतर समझ रखने वाले भी एक पल के लिए समझ नहीं पाए कि आखिर उन नतीजों को कैसे देखा जाए। लेकिन सामान्य तौर पर एक बात तो साफ हो गई कि 2014 से पहले कांग्रेस (General Elections 2014)के खिलाफ नरेंद्र मोदी जनमत बनाने की कोशिश कर रहे थे उसका असर ना सिर्फ 2014 बल्कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में भी दिखाई दिया। 2017 के नतीजे ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर की पार्टी को संदेश था बल्कि क्षेत्रीय दलों के लिए भी एक संदेश कि अब जात पात वाला जमाना गया।
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जब चौंकाने वाले नतीजे आए सामने
2017 के चुनावी नतीजों के सामने आने के ठीक एक साल बाद जब हिंदी हार्टलैंड के छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव हुए तो नतीजे बीजेपी के खिलाफ रहे। यह कहा जाने लगा कि मोदी का करिश्मा खत्म हो रहा है, 2019 तो अब उनके हाथ से गया। लेकिन 2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ आई और सभी तरह के अनुमानों को गलत साबित कर दिया। अब अगर 2014 से 2023 के 9 साल के कार्यकाल को देखें तो विश्लेषण बेहद रोचक हैं जिनका हम जिक्र करेंगे।
तीन बड़ी वजह
जानकार मोदी की कामयाबी की तीन बड़ी वजह बताते हैं जिसके बाद विपक्ष उनके सामने बौना साबित हो गया। पहला, 2014 से पहले कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस तरह से खुलासे हो रहे थे उसे नरेंद्र मोदी ने समझा और आक्रामक अंदाज में जनता को यह समझाने में कामयाब हुए कि देश को इस दलदल से निकालने का उपास सिर्फ बीजेपी के पास है। जब 2014 में वो सरकार बनाने में कामयाब हुए तो पहले कार्यकाल से लेकर आज की तारीख में बीजेपी के खिलाफ अगर कोई आरोप लगे तो वो साबित नहीं हो सका। रॉफेल उसका उदाहरण है।
दूसरी वजह, आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर देश में कोई बड़ी आतंकी वारदात नहीं हुई, जम्मू कश्मीर को छोड़कर। इस तरह की तस्वीर के जरिए मोदी सरकार जनता को यह संदेश देने में कामयाब रही कि एक मजबूत सरकार ही बड़े फैसले कर सकती है। खासतौर से जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया तो इससे जनता के बीच यह संदेश गया कि मोदी सरकार बड़े बड़े फैसले कर सकती है।
तीसरी वजह के बारे में जानकार कहते हैं कि आप देख रहे होंगे कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत अपनी बात प्रमुखता से रख रहा है। यूक्रेन और रूस लड़ाई के बीच जिस तरह से अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरफ से तेल के मुद्दे पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। उसे भारत ने सीधे नकारा और कहा कि एक संप्रभु देश को अपने हित के बारे में फैसला लेने का हक है और हम अपने उसी अधिकार को जमीन पर उतार रहे हैं।
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