Gita Press: कांग्रेस की आलोचना के बाद गीता प्रेस का बड़ा फैसला, 1 करोड़ रुपए नकद पुरस्कार नहीं लेगा
Gita Press news: गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर कांग्रेस द्वारा आलोचना किए जाने के बाद गीता प्रेस ने नकद राशि लेने से इंकार कर दिया है। गीता प्रेस के प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने सोमवार को कहा कि वह सरकार की तरफ से मिलने वाले एक करोड़ रुपए की नकद राशि नहीं लेंगे।
गीता प्रेस गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। (तस्वीर सौजन्य-गीता प्रेस ट्विटर)
Gita Press news: गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर कांग्रेस द्वारा आलोचना किए जाने के बाद गीता प्रेस ने नकद राशि लेने से इंकार कर दिया है। गीता प्रेस के प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने सोमवार को कहा कि वह सरकार की तरफ से पुरस्कार स्वरूप मिलने वाले एक करोड़ रुपए की नकद धनराशि नहीं स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस सम्मान स्वरूप केवल प्रशस्ति पत्र एवं पट्टिका स्वीकार करेगा। बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि 'गीता प्रेस को यह पुरस्कार देना एक उपहास है और यह सावरकर एवं गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।'
सीएम योगी ने दी बधाई
यह पुरस्कार मिलने पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस को बधाई दी। अपने ट्वीट में सीएम ने कहा कि 'भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' प्राप्त होने पर हृदय से बधाई। स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा। इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार।'
2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को प्रदान करने का निर्णय लिया है। यह पुरस्कार सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से राजनीतिक परिवर्तन के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
41 करोड़ से ज्यादा किताबें प्रकाशित
अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलना संस्था के लिए बेहद खास है। गीता प्रेस की शुरुआत गोरखपुर में वर्ष 1923 में हुई और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। गीता प्रेस हिंदू धार्मिक पुस्तकों को छापने वाला दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक है। संस्था अब तक 15 भाषाओं में 41 करोड़ से ज्यादा हिंदू धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है।
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