Rahul Gandhi: सजा के बाद खतरे में राहुल की संसद सदस्यता, 5 प्वाइंट में समझें क्या है राहत पाने का कानूनी विकल्प

Rahul Gandhi’s conviction : जनप्रतिनिधि कानून में ऐसा प्रावधान है कि दो साल या उससे अधिक समय के लिए सजा होने पर विधायी कार्यों से जुड़े लोगों की सदस्यता को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। यानी व्यक्ति सजा पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। इससे राहुल गाधी की संसद सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है।

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मानहानि मामले में राहुल गांधी को हुई दो साल की सजा।

Rahul Gandhi’s conviction : मानहानि के एक मामले में गुजरात की एक कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई। दरअसल, साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 'क्या वजह है कि जितने भी भ्रष्टचारी हैं, उनका सरनेम मोदी है।' भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। इस मामले की सुनवाई करने के बाद सूरत के सेशंस कोर्ट ने कांग्रेस नेता को दो साल की सजा सुनाई। कोर्ट में फैसला सुनाए जाते समय राहुल गांधी ने कहा कि वह दोषी नहीं हैं।

संसद सदस्यता जाने पर लटक रही तलवार

कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 499 और 500 के तहत राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। साथ ही उन्हें जमानत भी दी है। राहुल गांधी इन 30 दिनों में अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत जा सकते हैं। बता दें कि जनप्रतिनिधि कानून में ऐसा प्रावधान है कि दो साल या उससे अधिक समय के लिए सजा होने पर विधायी कार्यों से जुड़े लोगों की सदस्यता को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। यानी व्यक्ति सजा पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। इससे राहुल गाधी की संसद सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि, कानून के जानकारों का कहना है कि अगर अपीलीय अदालत राहुल गांधी की दोष सिद्धि और दो साल की सजा को निलंबित कर देती है, तो वह लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होंगे।

    कानून के जानकारों का कहना है कि सजायाफ्ता होने के बाद राहुल गांधी को जमानत के लिए कोर्ट में अपील दायर करनी होगी। इस अपील में उन्हें सजा पर रोक लगाने, जमानत लेने अथवा सजा खत्म करने की मांग करनी होगी।
  • अपराध प्रक्रिया संहिता (CRPC) में प्रावधान है कि इस तरह की सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जा सकती है। सीआरपीसी की धारा 374 सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार देती है। राहुल गांधी अपनी इस सजा को सेशन कोर्ट में ही चुनौती दे सकते हैं।
  • सेशन कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वह अपनी सजा पर स्टे लगाने या सजा खत्म करने के लिए अन्य अदालतों का रुख भी कर सकते हैं। सीआरपीसी की धारा 389 में सजा को खत्म करने का प्रावधान है। इसके तहत अपील करने वाले को जमानत भी मिल सकती है।
  • राहत पाने के लिए राहुल गांधी के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प है। संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत वह शीर्ष अदालत में अपील कर सकते हैं। अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट देश के सभी कोर्ट एवं न्यायाधिकरण में चल रहे मामलों की सुनवाई कर सकता है।
  • अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास किसी सजा, फैसले से राहत देने का अधिकार है। वह देश के किसी कोर्ट अथवा न्यायाधिकरण की ओर से पारित किसी फैसले, आदेश पर रोक लगा सकता है। हालांकि, जिस कोर्ट से सजा हुई है, उस अदालत में ही सजा पर रोक लगाने का अधिकार होता है, ऐसे में इस बात की उम्मीद कम है कि एससी इस मामले में दखल देगा।
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    आलोक कुमार राव author

    करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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