अखिलेश यादव ने मेरा फोन उठाना कर दिया था बंद, गठबंधन टूटने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा पर लगाया गंभीर आरोप

BSP प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी (SP) अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर बड़ा खुलासा किया है। बसपा प्रमुख ने कहा है कि लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम जारी होने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। यह दावा उन्होंने अपनी बुकलेट में किया है। यह बुकलेट मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को बांटी है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से गठबंधन टूटने का कारण बताया

मुख्य बातें
  • लोकसभा चुनाव 2019 में सपा को 5 और बसपा को मिली थीं 10 सीटें- मायावती
  • बसपा कार्यकर्ताओं को बांटी जा रही बुकलेट में मायावती ने गठबंधन टूटने का किया खुलासा
  • सपा को कम सीटें मिलने से दुखी हुए थे अखिलेख यादव- मायावती

BSP-SP Alliance In UP: बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा (SP) से गठबंधन टूटने को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। मायावती ने अखिलेश यादव से गठबंधन टूटने का कारण बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव-2019 में सिर्फ पांच सीटें मिलीं। इससे दुखी होकर अखिलेश यादव ने उनका फोन भी उठाना बंद कर दिया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह दावा अपनी बुकलेट में किया है। यह बुकलेट उपचुनाव और 2027 विधानसभा के लिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बांटी जा रही है। बुकलेट में मायावती ने कहा है कि लोकसभा चुनाव-2019 में सपा को पांच सीटें मिलीं। वहीं बसपा को 10 सीटें मिलीं। उन्होंने कहा कि यही बड़ी वजह बनी थी कि सपा के वरिष्ठ नेताओं ने फोन उठाना बंद कर दिया था। इस बुकलेट में मायावती ने सपा के साथ दो बार हुए गठबंधन के टूटने का कारण भी बताया है।

मायावती ने अपनी बुकलेट में गठबंधन टूटने का किया खुलासा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बसपा (BSP) सदस्यों को 59 पन्नों की अपील वितरित की गई। इस बुकलेट में मायावती ने अपनी अपील में सपा (SP) के साथ गठबंधन को फिर से याद किया, जिसकी शुरुआत 1993 में हुई जब कांशीराम ने मुलायम सिंह यादव के साथ गठबंधन किया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि उस गठबंधन के टूटने की वजह लखनऊ गेस्ट हाउस कांड था। मायावती के संदेश को लेकर राजनीति गलियारों में चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि मायावती ने इस बुकलेट के जरिए 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करना चाह रही हैं। मायावती के इस संदेश को एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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