SC-ST आरक्षण पर SC के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी लाइन तय करने में रही असमर्थ, बड़ी बैठक के बाद भी निर्णय अधूरा
SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस अभी तक साफ रूप से पार्टी लाइन तय करती नहीं दिख रही है। आगे की मीटिंग में कांग्रेस इस पर फैसला कर सकती है।
एक मीटिंग के दौरान कांग्रेस नेता
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण को लेकर दिए गए महत्वपूर्ण फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता एकजुट हुए, लेकिन पार्टी कोई ठोस लाइन तय करने में विफल रही। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इस बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत पार्टी के एससी/एसटी समुदाय के प्रमुख नेता शामिल थे।
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जाति जनगणना की मांग
राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि जाति जनगणना उनकी पार्टी की गारंटी में शामिल है और कांग्रेस इस मुद्दे पर कायम रहेगी। यह जनगणना सरकार को यह समझने में मदद करेगी कि विभिन्न जातियों की वास्तविक स्थिति क्या है और उनके लिए कौन-कौन से विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं।
आरक्षण की सीमा
राहुल गांधी ने सुझाव दिया कि एससी/एसटी और ओबीसी कोटे के लिए 50% की सीमा को संविधान में संशोधन कर बढ़ाया जाना चाहिए। यह आरक्षण व्यवस्था को और अधिक न्यायसंगत बनाने का एक प्रयास है, ताकि वंचित समुदायों को अधिक लाभ मिल सके।
सरकारी रिक्त पदों की भराई बैठक में यह भी चर्चा हुई कि सरकारी विभागों में खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को भी लाभ मिलेगा।
पार्टी की सावधानी
बैठक के बाद कांग्रेस कम्युनिकेशन महासचिव जयराम रमेश ने जानकारी दी कि पार्टी इस मुद्दे पर अपनी अंतिम लाइन तय करने से पहले सभी राज्य अध्यक्षों और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक और बैठक करेगी। यह सावधानी इसलिए बरती जा रही है क्योंकि हाल के चुनावों में दलित समुदाय का समर्थन कांग्रेस के लिए बढ़ा है और पार्टी किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से इस समर्थन को खतरे में नहीं डालना चाहती।
बैठक में उपस्थित प्रमुख नेताबैठक में CPP सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे,नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी,जयराम रमेश, कुमारी शैलजा,,मुकुल वासनिक,पीएल पुनिया, उदित राज, पंजाब पूर्व CM चन्नी और राकेश लिलोठिया (एससी विभाग के अध्यक्ष) जैसे दलित समुदाय के प्रमुख नेता भी शामिल थे। कांग्रेस के इस असमंजस के बीच, पार्टी का दलित आधार बढ़ाने और उन्हें नाराज़ न करने की कोशिश कर रही है। इस मामले में पार्टी के अंतिम निर्णय का इंतजार है, जो आगामी बैठकों के बाद लिया जाएगा।
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