Ahmedabad:धंस रहा है PM मोदी का शहर! बन गए हैं जोशीमठ जैसे हालात, रिसर्च में खतरे के बारे में किया आगाह
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के 2021 के रिसर्च में समुद्री तट पर हो रहे कटाव के बारे में आगाह किया गया है। सेंटर के रिसर्चर रतीश रामाकृष्णन एवं अन्य शोधकर्ताओं ने 'शोरलाइन चेंज एटलस ऑफ द इंडियन कोस्ट-गुजरात-दिउ एंड दमन' नाम से एक पेपर निकाला है।
अहमदाबाद में भू-जल के दोहन पर चिंता जताई।
अहमदाबाद में भू-जल का दोहन
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात का करीब 110 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र कटाव के खतरे का सामना कर रहा है। रिपोर्ट में अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि ऐसा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के बढ़ते जल स्तर की वजह से हुआ है। एक अन्य रिसर्च में कहा गया है कि अहमदाबाद में भू-जल का दोहन बड़ी मात्रा में हुआ है और इसकी वजह से यह शहर हर साल 12 से 25 मिलिमीटर धंस रहा है।संबंधित खबरें
आगाह करती है इसरो की रिपोर्ट
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के 2021 के रिसर्च में समुद्री तट पर हो रहे कटाव के बारे में आगाह किया गया है। सेंटर के रिसर्चर रतीश रामाकृष्णन एवं अन्य शोधकर्ताओं ने 'शोरलाइन चेंज एटलस ऑफ द इंडियन कोस्ट-गुजरात-दिउ एंड दमन' नाम से एक पेपर निकाला है। इस शोध में कहा गया है कि गुजरात का 1052 किलोमीटर तटीय क्षेत्र स्थिर है जबकि 110 किलोमीटर तटीयक्षेत्र का क्षरण हुआ है और तट के 49 किलोमीटर के फैलाव पर यह क्षरण तेजी से हुआ है।गाद जमा होने से जमीन बढ़ी
रिसर्च में इस बात का जिक्र भी है कि तटीय इलाकों में गाद के जमा होने से गुजरात को 208 हेक्टेयर जमीन मिली है जबकि तटीय कटाव के चलते राज्य ने 313 हेक्टेयर जमीन खो दी है। तटीय क्षरण पर आई एक अन्य रिसर्च में क्रुणाल पटेल एवं अन्य ने कहा है कि 42 सालों तक नजर रखने के बाद यह पाया गया है कि तटीय क्षेत्र का सबसे ज्यादा क्षरण कच्छ जिले में और राज्य के 45.9 प्रतिशत तटवर्ती इलाके में क्षरण हुआ है।10 जिले ऐसे हैं जिनमें क्षरण हुआ
रिसर्च के मुताबिक 16 तटीय जिलों में से 10 जिले ऐसे हैं जिनमें क्षरण हुआ है। सबसे ज्यादा क्षरण कच्छ में, इसके बाद जामनगर, भरूच और वलसाड़ में है। समुद्र के सरफेस टेंपरेचर में हुई वृद्धि को इस क्षरण की वजह बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बीते 160 सालों में सबसे ज्यादा एसएसटी में वृद्धि गल्फ ऑफ खम्भात में 1.50 डिग्री सेल्सियस, सौराष्ट्र तट पर 1 डिग्री सेल्सियस और कच्छ इलाके में 0.75 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।1969 में हजारों लोग हुए विस्थापित
सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व सरकारी कर्मचारी प्रद्यूम्नसिंह चुडाम्सा ने याद करते हुए बताया कि कृषि भूमि और गांव के कुछ हिस्सों के समुद्र में डूब जाने की वजह से साल 1969 में अहमदाबाद जिले के मांडवीपुरा गांव के 8000 ग्रामीणों एवं भावनगर जिले के गुंडाला गांव के 800 लोगों को दूसरी जगहों पर जाना पड़ा था। चुडाम्सा ने कहा कि अहमदाबाद एवं भावनगर की तरह खंभात की खाड़ी के पश्चिम तट पर बसे गांव भी खतरे में हैं। उन्होंने बताया कि यह खतरा बवालयारी, राजपुर, मिंगलपुर, खुन, झांखी, रहतालाव, कामा तलाव और नवागाम पर मंडरा रहा है। मानसून के समय ये गांव असहाय हो जाते हैं।अहमदाबाद में भू-जल निकालने पर रोक लगे
इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजी रिसर्च के साइंटिस्ट राकेश दुमका ने अपनी रिसर्च में कहा है कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने से गुजरात के इन गांवों पर यदि डूबने का खतरा है तो अहमदाबाद पर धंसने का खतरा मंडरा रहा है। अपने रिसर्च में दुमका ने कहा है कि अहमदाबाद के लोग जिस तरह से भू-जल का दोहन कर रहे हैं उसकी वजह से यह शहर हर साल 12 से 25 मिलिमीटर धंस रहा है। दुमका के मुताबिक राज्य एवं अहमदाबाद नगर निगम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शहर का सरफेस वाटर कम न हो और इस शहर को धंसने से अगर बचाना है तो भू-जल निकालने पर रोक लगनी चाहिए। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें
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