Ahmedabad:धंस रहा है PM मोदी का शहर! बन गए हैं जोशीमठ जैसे हालात, रिसर्च में खतरे के बारे में किया आगाह

इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के 2021 के रिसर्च में समुद्री तट पर हो रहे कटाव के बारे में आगाह किया गया है। सेंटर के रिसर्चर रतीश रामाकृष्णन एवं अन्य शोधकर्ताओं ने 'शोरलाइन चेंज एटलस ऑफ द इंडियन कोस्ट-गुजरात-दिउ एंड दमन' नाम से एक पेपर निकाला है।

अहमदाबाद में भू-जल के दोहन पर चिंता जताई।

Ahmedabad News: प्रकृति की नैसर्गिक बनावट एवं संरचना में जब-जब मानवीय दखल बढ़ा है, मानवता को उसके दुष्परिणामों का सामना करना पड़ा है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन की वजह से मनुष्य बाढ़, भूस्खलन और कटाव जैसी आपदाओं का सामना करता आया है। उत्तराखंड के जोशीमठ में आई विपदा के लिए बहुत कुछ वहां हुए बेहिसाब विकास को जिम्मेदार माना जा रहा है। कटाव एवं भूस्खलन का खतरा केवल पहाड़ी इलाकों में ही नहीं बल्कि समुद्र के किनारे बसे शहरों पर भी मंडराने लगा है।

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अहमदाबाद में भू-जल का दोहनएक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात का करीब 110 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र कटाव के खतरे का सामना कर रहा है। रिपोर्ट में अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि ऐसा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के बढ़ते जल स्तर की वजह से हुआ है। एक अन्य रिसर्च में कहा गया है कि अहमदाबाद में भू-जल का दोहन बड़ी मात्रा में हुआ है और इसकी वजह से यह शहर हर साल 12 से 25 मिलिमीटर धंस रहा है।

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आगाह करती है इसरो की रिपोर्टइसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के 2021 के रिसर्च में समुद्री तट पर हो रहे कटाव के बारे में आगाह किया गया है। सेंटर के रिसर्चर रतीश रामाकृष्णन एवं अन्य शोधकर्ताओं ने 'शोरलाइन चेंज एटलस ऑफ द इंडियन कोस्ट-गुजरात-दिउ एंड दमन' नाम से एक पेपर निकाला है। इस शोध में कहा गया है कि गुजरात का 1052 किलोमीटर तटीय क्षेत्र स्थिर है जबकि 110 किलोमीटर तटीयक्षेत्र का क्षरण हुआ है और तट के 49 किलोमीटर के फैलाव पर यह क्षरण तेजी से हुआ है।

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