AIIMS सर्वर अटैक मामला, रैनसमवेयर साइबर अटैक या फिर ISI की बड़ी साजिश?

दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी AIIMS पर साइबर अटैक हुए सात दिन हो गए। सर्वर रिस्टोर हो गया लेकिन अभी काम सुचारू रूप से नहीं शुरू हो पाया है। उधर जांच साइबर अटैक करने वाले के तार ISI से जुड़ते जा रहे हैं।

एम्स सर्वर हैकिंग में ISI की साजिश होने का शक

दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी AIIMS जहां रोजाना हजारों लाखों लोग देश के कोने कोने से इलाज के लिए आते है आज उसका खुद का सर्वर बीमार पड़ गया है इलाज की कोशिश की जा रही है लेकिन बीमारी ऐसी की बड़े बड़ों के पसीने निकल गए। 27 नवंबर को सर्वर ऐसा ठप हुआ कि आज 8वें दिन भी सर्वर ठीक होने की कोई संभावना नहीं है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सर्वर पर ई-हॉस्पिटल डेटा रिस्टोर कर लिया गया है। लेकिन अब तक जिसे रैनसमवेयर जैसा एक आम सायबर अटैक समझा जा रहा था। उसकी कड़ी सायबर टेररिजम से जुड़ती दिख रही है।

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सूत्रों की माने तो अब तक कि जांच में ये साफ हो गया है कि इसमें किसी मामूली हैकर या किसी छोटे संगठन का हाथ नहीं बल्कि किसी बड़ी साजिश के तहत इसे अंजाम दिया गया है। सूत्रों की माने तो हैकिंग का जो तरीका है वो बिल्कुल वैसा है जैसा रैनसमवेयर साइबर अटैक का होता है यानी एक कंप्यूटर प्रोग्राम सिस्टम में आता है ये प्रोग्राम पूरे डेटा को कॉपी करके बाहर कर देता है और फिर उसमें डिजिटल ताला लगा देता है और उसे खोलने के लिए क्रिप्टोकैरेसी में पैसे की मांग की जाती है। लेकिन यंहा मामला उससे बढ़ कर है। क्योंकि जितना बड़ा एम्स का डाटा है और जिस तरह की उसके रख रखाव का सिस्टम है उसे आसानी से हैक नहीं किया जा सकता। और सर्वर का जो स्पेस है जिसमें 4 करोड़ से ज्यादा लोगों का डेटा है ऐसे सर्वर को कोई मामूली हैकर या संगठन हैक नहीं कर सकता।

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