Air Pollution : दिल्ली में वायु प्रदूषण की मार, कौन जिम्मेदार?

Air Pollution : दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। खांसी, गले में खराश, सिर दर्द और दमा के मरीजों की भी संख्या बढ़ गई है। लेकिन इससे निपटने के लिए तीन राज्यों के दावे फेल हो गए हैं।

Air pollution in Delhi

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन?

Air Pollution : ठंड शुरू होने के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। राजधानी और आसपास के इलाकों में ठंड अभी ठीक ढंग से पड़ना शुरू भी नहीं हुआ है लेकिन प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ती जा रही है। इन सबके के बीच तीनों राज्यों के सरकार के दावे फेल हो रहे हैं।

दिल्ली NCR में प्रदूषण

दिल्ली में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 से ज्यादा पहुंच गया है। ऐसे में लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सीजन में राष्ट्रीय राजधानी में 25 प्रतिशत तक सांस के रोगी बढ़ गए हैं। अस्पतालों के ओपीडी में आंखों में जलन, सांस और सामान्य फ्लू जैसे लक्षण वाले मरीज बढ़ गए हैं। वहीं खांसी, गले में खराश, सिर दर्द और दमा के मरीजों की भी संख्या बढ़ गई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में हर पांच में से चार परिवारों को प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ा है। इन प्रभावित लोगों में से 18 प्रतिशत लोगों ने बीमारियों को लेकर डॉक्टर से संपर्क किया है। ये सर्वे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के लोगों पर किया गया था।

प्रदूषण से इस तरह की हो रही समस्याएं

  1. सांस लेने में परेशानी
  2. गले में खराश
  3. खांसी और नाक बहना
  4. आंखों में जलन
  5. सिर दर्द और थकान महसूस होना
  6. छाती में भारीपन

प्रदूषण से बचने के उपाय

  • मास्क का प्रयोग करें
  • बिना वजह घर से बाहर ना निकलें
  • डॉक्टरों से समय-समय पर सलाह लें
  • कोई भी लापरवाही ना करें
  • साफ पानी पिएं
  • भाप लें
  • योगा करें

क्या रहा कारण ?

दिल्ली में प्रदूषण का ये आलम यूं तो हर साल रहता है। हर साल प्रदूषण रोकने को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। स्मॉग टावर से लेकर सड़कों पर लार्वा का छिड़काव किया जाता है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इतने प्रदूषण के बावजूद लोग भी बाज नहीं आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एनसीआर के लोगों ने दिवाली पर खूब पटाखे फोड़े जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है।

दूसरे राज्यों में पराली जलाना बड़ा कारण

दिल्ली और आसपास के राज्यों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर का एक बड़ा कारण पराली जलाना भी है। पंजाब और पश्चिमी यूपी में पराली जलाने के कारण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस चिंताजनक हालात के बीच भी सरकारों की राजनीति जारी है। पंजाब सरकार पराली को नियंत्रित करने का बड़ा दावा कर रही है। सरकार के दावों के बीच आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। पंजाब में इस पराली जलाने के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।

दिल्ली NCR में ग्रैप-4 लागू

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए GRAP का स्टेज 4 लागू किया गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आठवीं क्लास तक के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। वहीं 9 से 12वीं क्लास के लिए ऑनलाइन क्लास चलाने का आदेश दिया गया है। कंपनियों को कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम कराने का सुझाव दिया गया है। डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है। जरूरी सामान ढोने वाले ट्रकों को ही एंट्री दी जा रही है। लोगों से बिना वजह बाहर ना निकलने को कहा गया है।

दिल्ली एनसीआर में पाबंदियां

इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहनों को छोड़कर ट्रकों की एंट्री पर रोक।

हाईवे, फ्लाईओवर ओवरब्रिज और पाइपलाइन के निर्माण बंद।

जरूरी सामान के निर्माण करने के अलावा सभी उद्योग बंद ।

हॉट मिक्स प्लांट, आरएमसी प्लांट और स्टोन क्रशर का संचालन पूरी तरह बंद।

छोटे कारोबार-इंडस्ट्री पर बड़ा असर

प्रदूषण के कारण दिल्ली एनसीआर के छोटे कारोबारियों पर हर साल बुरा असर पड़ता है। ठंड के सीजन में छोटा व्यवसाय करने वाले व्यापारियों की कमर टूट जाती है। इस सीजन में कपड़ों की प्रिटिंग, ट्रांसपोर्ट कारोबारी या बिल्डिंग निर्माण करने वाली कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रित बोर्ड या कोर्ट के आदेशों के बाद अपना काम बंद करना पड़ता है। उन्हें प्रदूषण का हवाला देकर काम बंद करने का आदेश दिया जाता है ऐसे में कर्मचारियों की सैलरी, कंपनी का किराया देना एक बड़ी चुनौती बना रहता है। छोटे कारोबारियों के लिए ये स्थिति 3 से 4 महीने तक बनी रहती है। कारोबारियों के मुताबिक एक कारोबारी को इस सीजन में हर महीने इन्हें 2 से 3 करोड़ का नुकसान होता है। जिसकी भरपाई साल के बाकी महीनों में भी नहीं हो पाती है।

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लेटेस्ट न्यूज

अभिजीत शर्मा author

अभिजीत शर्मा मिरर नाऊ में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं। अभिजीत पिछले 5 सालों से पत्रकारिता जगत में हैं। अभिजीत को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल में काम ...और देखें

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