Ajit Doval से सऊदी में मिले USA के NSA, ऑस्ट्रेलिया में फिर होगी मुलाकात; समझें- क्या है इंडिया का प्लान
रोचक बात यह है कि जनवरी में महत्वाकांक्षी ‘इंडिया यूएस आईसीईटी (इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी)’ संवाद शुरू करने के बाद डोभाल और सुलिवन के बीच यह पहली बैठक है। दरअसल, सुलिवन फिलहाल सऊदी अरब की यात्रा पर हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत के. डोभाल। (फाइल)
भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत के.डोभाल की सऊदी अरब में अपने अमेरिकी समकक्ष से भेंट हुई। सोमवार (आठ मई, 2023) को इस बारे में व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया। कहा गया कि एनएसए जेक सुलिवन ने रविवार (सात मई, 2023) को सऊदी में भारतीय समकक्ष डोभाल के साथ बैठक की, जबकि दोनों नेता इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर फिर मिलेंगे।
बैठक का ब्योरा बताते हुए आगे कहा गया, ‘‘सुलिवन ने भारत और दुनिया के साथ जुड़े हुए समृद्ध व अधिक सुरक्षित पश्चिम एशिया के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के मद्देनजर सऊदी अरब में सात मई को सऊदी के पीएम और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहनून बिन जायद अल नहयान और भारतीय एनएसए डोभाल से मुलाकात की।’’
व्हाइट हाउस के मुताबिक, ‘‘सुलिवन ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा करने के लिए क्राउन प्रिंस, शेख तहनून और डोभाल के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। वह इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर डोभाल के साथ और विचार विमर्श करने को आशान्वित हैं।’’ बयान में आगे बताया गया, ‘‘सुलिवन ने सूडान से अमेरिकी नागरिकों को निकालने में सऊदी के सहयोग के लिए क्राउन प्रिंस को धन्यवाद दिया। चारों प्रतिनिधि नियमित रूप से विचार विमर्श करते रहने और दिन भर हुई चर्चा में शामिल मुद्दों पर आगे की कार्रवाई करने पर सहमत हुए।’’
- बीजिंग ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में जिस तरह से अपने सियासी प्रभाव के क्षेत्र का विस्तार किया है, उसे दिल्ली “Mission Creep” के तौर पर देखता है। पश्चिम एशिया में भारत के हितों के लिए संभावित निहितार्थ हैं, जो ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) प्रदान करता है। ऐसी कनेक्टिविटी कच्चे तेल की तेज आवाजाही की अनुमति देगी और लंबी अवधि में भारत की लागत को कम करेगी। कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने से भारत के उन आठ मिलियन नागरिकों को भी मदद मिलेगी, जो खाड़ी क्षेत्र में रहते हैं और काम करते हैं।
- यह प्रोजेक्ट भारत को रेलवे क्षेत्र में एक बुनियादी ढांचा निर्माता के रूप में एक ब्रांड बनाने में मदद करेगा। अपने देश में एक मजबूत रेल नेटवर्क की शेखी बघारने और श्रीलंका में ऐसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की सफलता से उत्साहित भारत को विदेशों में ऐसा करने का विश्वास है। चीनी बेल्ट एंड रोड परियोजना का मुकाबला करने पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिसने इस क्षेत्र के कई देशों पर सीमित उपयोगिता वाले बुनियादी ढांचे का बोझ डाला है।
- सरकार को लगता है कि पाकिस्तान की ओर से जमीनी पारगमन मार्गों (Overland Transit Routes) को रोके जाने से भारत का अपने पश्चिमी पड़ोसियों से संपर्क लंबे समय तक सीमित रहा है। ऐसे में इंडिया पश्चिम एशियाई बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए शिपिंग मार्गों का यूज चाहता है, जिनमें चाबहार और बंदर-ए-अब्बास (ईरान), डुक्म (ओमान), दुबई (यूएई), जेद्दा (सऊदी अरब) और कुवैत सिटी हैं। भारतीय हिस्सेदारी के साथ खाड़ी और अरब देशों को पार करने वाले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स कारोबार के अवसरों को खोलते हैं।
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