शरद पवार के ही रास्ते पर चल रहे अजित पवार! चाचा ने दो बार तोड़ी थी कांग्रेस, भतीजे ने भी दो बार NCP को तोड़ा
इंदिरा गांधी ने जब देश में इमरजेंसी लगाई तो शरद पवार उन नेताओं में शामिल हो गए, जिन्होंने उनका विरोध किया था। शऱद पवार जनता पार्टी के साथ जा मिले, कांग्रेस को तोड़ दिया।
इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक से बगावत कर चुके हैं शरद पवार
आज एक बार फिर से एनसीपी टूटी है। शरद पवार को अपने ही परिवार से धोखा मिला है। भतीजे अजित पवार पार्टी तोड़ चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा है, लेकिन सच्चाई ये है कि अजित पवार उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस रास्ते पर चलकर चाचा शरद पवार ने राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया था, सीएम बने थे, उसी रास्ते पर अब उनके भतीजे अजित पवार चल रहे हैं।
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चाचा शरद तोड़ चुके हैं दो बार कांग्रेस
शरद पवार एक बार नहीं बल्कि दो बार कांग्रेस को तोड़ चुके हैं, आज उनकी एनसीपी भी अजित पवार के कारण दो बार टूट चुकी है। शरद पवार 27 साल की उम्र में विधायक बन गए थे, जल्द ही महाराष्ट्र की राजनीति में वो एक बड़े नाम बन चुके थे, उस समय कांग्रेस में ही थे। कांग्रेस ने उनपर भरोसा किया और लगातार आगे बढ़ाते रही। लेकिन तब महाराष्ट्र में उनसे कई बड़े-बड़े नेता कांग्रेस में थे, सीएम की कुर्सी ऐसे में उनसे दूर ही रही, जिसके बाद इंदिरा राज में ही शरद पवार ने पहली बगावत कर दी।
इंदिरा का विरोध
इंदिरा गांधी ने जब देश में इमरजेंसी लगाई तो शरद पवार उन नेताओं में शामिल हो गए, जिन्होंने उनका विरोध किया था। शऱद पवार जनता पार्टी के साथ जा मिले, कांग्रेस को तोड़ दिया। 1978 में हुए चुनाव में राज्य में जनता पार्टी जीती और शरद पवार सीएम बनें। 1980 में जब इंदिरा गांधी ने सत्ता में वापसी की तो शरद पवार सत्ता से बाहर हो गए।
राजीव राज में वापसी
इसके बाद राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने तक शरद पवार कांग्रेस से बाहर ही रहे। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनें तब 1987 में उन्होंने कांग्रेस में घर वापसी कर ली। इसके बाद महाराष्ट्र के सीएम से लेकर केंद्र में वित्त मंत्री तक रहे। राजीव गांधी की जब हत्या हुई तब पीएम पद की रेस में शरद पवार भी थे लेकिन सफल नहीं हुए।
सोनिया गांधी से बगावत
इसके बाद शरद पवार 1999 तक कांग्रेस के साथ रहे। इसके बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व को लेकर बागी हो बैठे। कांग्रेस को फिर से तोड़ दिया। कांग्रेस ने शरद पवार को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद एनसीपी का गठन हुआ। शरद पवार कांग्रेस से भले ही अलग हुए थे, तोड़े थे, लेकिन सत्ता का सुख राज्य से लेकर केंद्र तक में वो कांग्रेस के साथ गठबंधन में लेते रहे।
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