इस्लाम में हिजाब पहनना जोर-जबरदस्ती नहीं, लड़कियां भी हों आजाद; अजमेर दरगाह के चिश्ती का बयान

Hijab in Islam: अजमेर दरगाह के खादिम व चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने कहा कि इस्लाम में हिजाब पहनना कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। जैसे भारत में सभी को आजादी है, वैसे ही स्विट्जरलैंड में सभी को आजादी होनी चाहिए।

सांकेतिक तस्वीर।

Ajmer News: अजमेर दरगाह के खादिम व चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने स्विट्जरलैंड में बुर्का और हिजाब बैन पर गुरुवार को अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, इस्लाम में हिजाब पहनना कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। वहीं, जैसे भारत में सभी को आजादी है, वैसे ही स्विट्जरलैंड में सभी को आजादी होनी चाहिए।

बुर्का पर बैन लगाने वाले कानून के पक्ष में किया था वोट

अजमेर दरगाह के खादिम व चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सलमान चिश्ती ने बताया कि वह एक सप्ताह पहले पेरिस में थे और जेनेवा भी जाना हुआ था। उस वक्त तक हिजाब को लेकर कोई बात नहीं रही थी। उन्होंने कहा, "हिजाब को लेकर खबर आने के बाद मैने जेनेवा में बात की, जिससे पता चला कि 2021 में एक जनमत संग्रह हुआ था, इसमें करीब 51.2 प्रतिशत लोगों ने इस बुर्का पर बैन लगाने वाले कानून के पक्ष में वोट किया था। लेकिन सर पर दुपट्टा करना, प्रार्थना के दौरान सिर पर कपड़े रखने की रोक कानून में नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिक शक्ति के लिए जाना चाहता है। हमारे संविधान के तहत सभी को स्वतंत्रता है कि वो अपने धर्म और आस्था को फॉलो करे। वहीं, इस्लाम में भी हिजाब को लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। यह लोगों की व्यक्तिगत मर्जी होती है। वो अपने निजी जीवन में हिजाब का इस्तेमाल करना चाहें तो यह उनको छूट होती है। यह छूट भारत में तमाम धर्मों के नागरिकों को है। इसकी स्वतंत्रता संविधान देता है।

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