अमेठी के बहाने अखिलेश यादव ने दिया सिग्नल, 2024 आम चुनाव में बनेगा तीसरा मोर्चा, समझें समीकरण
करीब दो दशक से सपा अमेठी में कांग्रेस को वॉकओवर देती रही है। अपने गठन के बाद सपा दो बार ही 1998 और 1999 में अमेठी के चुनाव मैदान में उतरी है।
अमेठी के बहाने अखिलेश यादव ने दिया सिग्नल
कभी कांग्रेस का गढ़ था अमेठी
अखिलेश का यह ट्वीट पार्टी के बड़े नेता और यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की बेटी की शादी के बहाने रविवार को जिले का दौरा करने के बाद आया है। कभी अमेठी संसदीय सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी इस सीट से सांसद रह चुके थे। अभी भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहां से सांसद हैं, जिन्होंने 2019 के संसदीय चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराया था।
पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अमेठी को सभी जानते हैं। राजनीतिक रूप से जागरूक सभी लोग अमेठी के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। मुझे आज अमेठी जाने का मौका मिला। मैं जनता का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने जिले से विधायक चुनने में हमारी मदद की।
अखिलेश ने केंद्र को लिया निशाने पर
अखिलेश ने कहा कि यह उनका जिले का पहला दौरा नहीं है। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि आज महंगाई, बेरोजगारी, अन्याय चरम पर है। अगर कोई गरीब है तो उसे इस सरकार में न्याय नहीं मिल सकता है। सरकार विपक्ष के एक सवाल का भी जवाब नहीं दे पाई। आज सरकार के लोगों को सफाई देनी चाहिए कि महंगाई क्यों बढ़ रही है। उन्होंने किसी उद्योगपति का नाम लिए बिना कहा कि भारतीय जनता पार्टी जो शेखी बघारती थी कि उनके फैसलों की वजह से एक उद्योगपति दुनिया में अमीरों की सूची में सबसे ऊपर है। लेकिन आज वह इस मामले पर चुप है।
उन्होंने बिना नाम लिए अमेठी की सांसद और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी पर भी निशाना साधा। उन्होंने अमेठी के लोगों से 2024 के लोकसभा चुनाव में स्मृति को हराने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिलेंडर वाली यहां से सांसद हैं। निश्चित रूप से उन्हें हराएंगे। अखिलेश ने आम जनता से 2024 के आम चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि सपा गठबंधन राज्य में सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
क्या हैं अमेठी के समीकरण
दरअसल, करीब दो दशक से सपा अमेठी में कांग्रेस को वॉकओवर देती रही है। अपने गठन के बाद सपा दो बार ही 1998 और 1999 में अमेठी के चुनाव मैदान में उतरी है। लेकिन दोनों बार कुछ खास असर नहीं छोड़ पाई। अगर अखिलेश 2024 चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारते हैं तो कांग्रेस-बीजेपी के साथ मुकाबले को त्रिकोणीय बनाएंगे। अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को ही होगा, जो पहले ही बीजेपी से चोट खाई बैठी है। 2019 लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया सभी को चौंका दिया था।
कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा
राहुल गांधी के यहां से 2019 लोकसभा चुनाव हारने के बाद से समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। भाजपा ने यहां अच्छी पैठ बनाई है। यूपी में भाजपा ही सपा की दुश्मन नंबर एक है। ऐसे में अखिलेश अमेठी को भाजपा के लिए खाली नहीं छोड़ सकते हैं। वह अपना उम्मीदवार उतारकर सपा की जड़ें मजबूत करना चाहते हैं। कुछ वर्षों से अमेठी में सपा का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। 2022 के चुनाव में सपा ने अमेठी और गौरीगंज सीट पर कब्जा जमाया। ऐसे में अखिलेश अब संसदीय सीट पर भी दांव आजमाना चाहते हैं।
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