'INDIA' से दूर रहना चाहते हैं अखिलेश यादव? जानें अब विपक्षी गठबंधन का क्या होगा

Akhilesh Yadav on 'INDIA': पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से 'इंडिया' गठबंधन की टेंशन बढ़ गई है। पहले ममता बनर्जी और अब अखिलेश यादव ने दिल्ली में होने वाली विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। मगर अखिलेश ने ये भी कहा कि यह गठबंधन और मजबूत होगा।

Akhilesh Yadav INDIA Meet

विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की बढ़ गई टेंशन।

Opposition Parties Alliance Meeting: विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का क्या होगा? फिलहाल की परिस्थिति को देखते हुए अगर ये कहा जाए कि लोकसभा चुनाव से पहले कहीं विपक्षी पार्टियां बिखर ना जाएं, तो गलत नहीं होगा। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को दिल्ली में होने वाली विपक्ष के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालांकि उन्होंने दावा किया है कि हाल में चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन और मजबूत होगा।

पहले ममता अब अखिलेश ने बनाई बैठक से दूरी

विपक्षी गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हो रही है। ममता के साथ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी कदम से कदम मिलाकर चल रही है। कहीं न कहीं 'इंडिया' की दो मुख्य पार्टियों का बैठक से दूर रहना गठबंधन की टेंशन में इजाफा करने जैसा है। दरअसल, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने मंगलवार को को बताया, 'राष्ट्रीय अध्यक्ष का कल इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होने का कोई कार्यक्रम नहीं है। पार्टी के प्रमुख महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव या राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा अधिकृत कोई अन्य नेता बैठक में शामिल होंगे।'

बैठक में क्यों शामिल नहीं हो रहे हैं अखिलेश यादव?

यह पूछे जाने पर कि क्या चार राज्यों में विधानसभा नतीजे आने के बाद अखिलेश यादव का बैठक में शामिल न होना तय था, सपा प्रवक्ता ने कहा कि बैठक के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। मालूम हो कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए छह दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक करेंगे। इस बीच, दिल्ली में सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी बैठक में शामिल होगी लेकिनअखिलेश यादव मौजूद नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव पूर्वांचल क्षेत्र में निर्धारित कुछ कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अगर कोई नेता भाग नहीं लेता है। बैठक में सभी दल होंगे।'

अखिलेश ने खुलेआम जाहिर की थी अपनी नाराजगी

सपा मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवारों की घोषणा करते समय कांग्रेस द्वारा सीट नहीं दिए जाने से नाराज है और अखिलेश यादव ने इस पर खुलेआम अपनी नाराजगी जाहिर की थी। सोमवार को संसद में इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों की बैठक में भी सपा का कोई नेता शामिल नहीं था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी भी व्यस्तता के कारण ‘इंडिया’ गठबंधन की छह दिसंबर की बैठक में शामिल नहीं होंगी। इस बीच, अखिलेश यादव ने एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में दावा किया कि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों को भाजपा के लिए 'चिंता का विषय' होने चाहिये और इन नतीजों से विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन और मजबूत होगा।

'इंडिया गठबंधन और मजबूत होगा', बोले अखिलेश

अखिलेश यादव ने कहा, 'हाल ही में जो चुनाव परिणाम आए हैं, इससे मैं समझता हूं कि इंडिया गठबंधन और मजबूत होगा। इस गठबंधन से जनता को और उम्मीद बढ़ेगी कि उसे और मजबूत कैसे बनाया जाए।' उन्होंने कहा, 'हाल ही में जो परिणाम आए हैं वे भाजपा के लिए चिंता का विषय होने चाहिए। हो सकता है कि लोगों को लगे कि मैं यह क्या बात कह रहा हूं लेकिन भाजपा के लिए चिंता इस बात की होनी चाहिए क्योंकि जनता का मूड परिवर्तन का है।'

सपा प्रमुख ने मध्य प्रदेश की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'अगर एक प्रदेश में कांग्रेस पार्टी या जो दल था उसका व्यवहार वैसा ना होता तो परिवर्तन वहां भी हो जाता।'

क्या सचमुच भाजपा के लिए परिणामों से बढ़ी चिंता

जीत के बावजूद चुनाव परिणाम भाजपा के लिए चिंता का विषय कैसे हो सकते हैं, इस सवाल पर यादव ने कहा, 'जीत जो हुई है, हो सकता है वह कल भाजपा की हार का संदेश हो। मैंने तो सभी चैनलों को देखा है या जो अखबारों में देखा है, उसमें कहा गया है कि जनता का परिवर्तन का मूड था।' उन्होंने दलील देते हुए कहा, 'राजस्थान में परिवर्तन क्यों आया क्योंकि जनता परिवर्तन चाहती थी। छत्तीसगढ़ में क्यों परिवर्तन आया, क्योंकि जनता परिवर्तन चाहती थी। अगर हम इन चार राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) के चुनावों का विश्लेषण करें तो यही बात समझ में आती है कि जनता परिवर्तन चाहती है तो फिर जब दिल्ली (लोकसभा) का चुनाव होगा तो जनता परिवर्तन क्यों नहीं चाहेगी, तो यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है।'

भाजपा ने रविवार को घोषित विधानसभा चुनाव परिणामों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की और कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद और भी बढ़ा और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार हो गया।

कांग्रेस को तेलंगाना में कुछ राहत जरूर मिली। वहां पार्टी ने सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति को हराकर सत्ता पर कब्जा किया।

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