ALH ध्रुव के हादसे का शिकार होने के बाद इसके ऑपरेशन बंद, HAL ने शुरू की जांच, दूर होंगी खामियां
कम से कम 24 ध्रुव/रुद्र दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं, जिनमें आपातकालीन लैंडिंग के अलावा कई कर्मियों के शहीद होने की घटनाएं भी शामिल हैं।
ALH ध्रुव के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उड़ान भरने पर रोक (Indian Army)
ALH Dhruv Accidents: मुंबई में 8 मार्च को भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर ALH ध्रुव के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने ध्रुव हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। इस हादसे के बाद उठ रहे सवालों को देखते हुए ये फैसला किया गया। इस दुर्घटना की वजह पता चलने तक इस पर रोक लगाई गई है। पिछले कुछ सालों में दो दर्जन से भी ज्यादा ध्रुव हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं और इन्हें बनाने वाली कंपनी HAL अब सीधे सेना नौसेना और वायुसेना के पायलट से संपर्क कर रही है ताकि इन हेलीकॉप्टर्स में आने वाली खामियों को समझ कर इन्हें दूर किया जा सके।
8 मार्च को मुंबई में हुआ था हादसा
8 मार्च को मुंबई से भारतीय नौसेना के एएलएच ध्रुव ने मिशन के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन अचानक हेलीकॉप्टर में तकनीकी दिक्कतों के कारण इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। इसमें सवार जवानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, वे सुरक्षित बाहर निकल आए। नौसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। सेना के तीनों अंगों के हेलीकॉप्टर मिशन में एएलएच ध्रुव को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा एचएएल के अधिकारियों ने बताया कि कंपनी ने एहतियातन तौर पर इसके लिए कदम उठा लिए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए ग्राहकों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है जिससे हेलीकॉप्टर फिर से उड़ान भर सकें।
पिछले 20 सालों से सेवा में है ALH हेलीकॉप्टर
ALH ध्रुव को नवंबर 1984 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डिजाइन किया था। ध्रुव ने 2002 में सेवा देना शुरू किया था। इसे आर्म्ड और नागरिक दोनों ऑपरेटरों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। जानकारी के मुताबिक इसमें 12 लोग बैठ सकते है। इसके साथ ही इसे दो पायलट उड़ाते हैं। यह 290 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलता है और 625 मीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। ध्रुव ने 2002 में सेवा में प्रवेश किया था। इसे सैन्य और नागरिक दोनों ऑपरेटरों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हेलीकॉप्टर के सैन्य संस्करण विकसित किए जा रहे हैं, जबकि नागरिक/व्यावसायिक उपयोग के लिए भी एक संस्करण विकसित किया गया है। उत्पादन में सैन्य संस्करणों में परिवहन, उपयोगिता, टोही और चिकित्सा निकासी संस्करण शामिल हैं।
335 एचएएल ध्रुव का उत्पादन किया जा चुका है
जनवरी 2022 तक घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए 335 एचएएल ध्रुव का उत्पादन किया गया है, जिसमें 340,000 से अधिक उड़ान घंटे हैं। सेना के तीनों अंगों की बात करें तो इनमें 200 से ज्यादा एएलएच हेलीकॉप्टर तैनात हैं, जिसमें से 90 रूद्र भारतीय सेना और नौसेना के पास हैं। हालांकि, कम से कम 24 ध्रुव/रुद्र दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं, जिनमें कई आपातकालीन लैंडिंग के अलावा कई कर्मियों के शहीद होने की घटनाएं भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि सभी दुर्घटनाएं शांतिकाल में हुई हैं, न कि किसी वास्तविक युद्ध परिदृश्य में।
2002 से 16 ध्रुव दुर्घटनाएं
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने सहमति व्यक्त की कि हेलीकॉप्टर के लिए कई सर्विसिंग चुनौतियां हैं। 2016 में सरकार ने कहा था कि 2002 के बाद से ध्रुव से जुड़ी 16 दुर्घटनाएं हुई हैं। दुर्घटनाओं में से दो नागरिक प्रकार की थीं और पांच इक्वाडोर में हुईं। तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में कहा था कि 16 दुर्घटनाओं में से 12 मानवीय त्रुटि और पर्यावरणीय कारकों के कारण हुईं और बाकी चार तकनीकी कारणों से हुईं।
दिसंबर 2021 में सरकार ने कहा था कि मार्च 2017 के बाद से 15 सैन्य हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें चार ध्रुव और दो रुद्र शामिल हैं। गुजरात के खेड़ा जिले में दो 3-स्टार अधिकारियों के साथ 2021 में ध्रुव की एक आपातकालीन लैंडिंग हुई थी। यूटिलिटी सैन्य संस्करण ध्रुव का प्रमाणन 2002 में पूरा हुआ और सिविल संस्करण का प्रमाणन 2004 में पूरा हुआ था।
हेलीकॉप्टर्स में खराबी की वजह ढूंढ़ी जा रही है
एएलएच ध्रुव के आधार पर राज्य के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस प्रमुख HAL अब लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) लेकर आई है। ध्रुव के हाल ही में हुए हादसों के बाद एचएलए सीधे पायलट से बातचीत करना शुरू कर दिया है। HAL पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इन हेलीकॉप्टर्स में किस वजह से खराबी आ रही है। इस जांच में कुछ वक्त लग सकता है। ऐसे में भारतीय सेना नौसेना और वायु सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर्स के ऑपरेशंस बाधित हो चुके हैं। सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इन ऑपरेशंस के लिए अब वैकल्पिक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है और किसी भी अंग में ऑपरेशन ऑपरेशनल तैयारी पर असर नहीं पड़ने दिया जा रहा है। लेकिन सेना, नेवी और एयरफोर्स चाहते हैं कि जल्द ही यह जांच खत्म हो ताकि एलएच में हुई खामी के बारे में पता लगा कर उसे ठीक किया जा सके क्योंकि तीनों ही आग अपने अलग-अलग तरह के ऑपरेशंस के लिए ध्रुव हेलीकॉप्टर्स पर निर्भर हैं।
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19 सालों के पत्रकारिता के अपने अनुभव में मैंने राजनीति, सामाजिक सरोकार और रक्षा से जुड़े पहलुओं पर काम किया है। सीमाओं पर देश के वीरों का शौर्य, आत्मन...और देखें
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