Himachal Political Crisis: हिमाचल कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं, एक और बगावत की आहट; समझिए कहां चूक गए सुक्खू
Himachal Political Crisis: पिछले एक साल में ऐसे कई मौके आए हैं। जब सुक्खू ने पार्टी के आदेशों की अवहेलना की है। कहा जाता है कि वो कांग्रेस आलाकमान की भी नहीं सुनते हैं।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में हो सकती है एक और बगावत (फोटो- @poetvardhan)
Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में बगावता अभी तक सही से सुलझ नहीं पाई है, हिमाचल कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है। एक और बगावत की आहट सुनाई दे रही है। कहा जा रहा है कि विधायकों का बड़ा हिस्सा अभी भी वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज है। कांग्रेस आलाकमान के सामने हिमाचल में सरकार बचाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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हिमाचल कांग्रेस में तनाव बरकरार
मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को कांग्रेस पर्यवेक्षकों द्वारा प्रतिभा सिंह और सुक्खू के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता करने के बाद भी हिमाचल कांग्रेस में तनाव बरकरार है। सूत्रों की मानें तो सरकार बहुत कमजोर स्थिति में है। विधायक सुक्खू से नाखुश हैं और उन्हें हटाने की मांग कर रहें हैं। सुक्खू भले ही आलाकमान को आश्वासन से रहे हों कि सरकार पांच साल तक चलेगी लेकिन वास्तविकता यही है कि सुक्खू के पास पर्याप्त विधायकों का सपोर्ट नहीं है।
कहां चूके सूक्खु, जो विधायक हुए नाराज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू विधायकों की सुनते नहीं है। खासकर दूसरे गुट वाले विधायकों की। उनकी मांगों को नरअंदाज कर देते हैं। यही कारण है कि विधायक हिमाचल सीएम से नाराज बताए जा रहे हैं। सुक्खू पर आरोप है कि वो विधायकों की फाइल नहीं बढ़ाते हैं, ओछी राजनीति करते हैं। विधायकों का अपमान करते हैं।
आलाकमान की भी नहीं सुनते सुक्खू?
पिछले एक साल में ऐसे कई मौके आए हैं। जब सुक्खू ने पार्टी के आदेशों की अवहेलना की है। विधायकों की तो छोड़िए, कहा जाता है कि वो कांग्रेस आलाकमान की भी नहीं सुनते हैं। सीएम के खिलाफ दिल्ली में हुई एक बैठक में राज्य के नेताओं ने आलाकमान से सीधी शिकायत की थी। जिसके बाद आलाकमान ने सुक्खू को चेताया था। सुक्खू से कहा गया था कि वो राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं को साथ रखा जाए लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
बिना विधायक कैसे चलेगी सरकार?
हिमाचल सीएम प्रदेश में विधायकों की नाराजगी को समझ कर भी इग्नोर करने वाले रवैये के मूड में थे। सुक्खू ने नेतृत्व को आश्वासन दिया था कि सब कुछ नियंत्रण में है और वह गारंटी देते हैं कि सरकार पांच साल चलेगी। राज्यसभा चुनाव के दौरान भी सुक्खू ने गारंटी ली थी, लेकिन विधायक खुलेआम क्रॉस वोटिंग करते रहे, लेकिन सुक्खू अपनी गलती को स्वीकार करने के लिए अभी भी तैयार नहीं दिख रहे हैं।
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13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियास...और देखें
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