कर्नाटक कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं? सरकार गठन के बाद भी मुख्यमंत्री को लेकर रस्साकसी जारी, शिवकुमार ने कही ये बात
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार सफलता के बाद काफी चर्चा के बाद सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया। डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम चुने गए। सीएम पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार में से किसको चुना जाए। इसको लेकर कई दिनों तक बैठक हुई। अब मंत्री एमबी पाटिल ने यह कह कर बहस छेड़ दी कि सिद्धरमैया पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इस पर डीके शिवकुमार ने कहा कि फैसला आलाकमान देखेगा। सूत्रों के मुताबिक ढाई-ढाई साल सीएम बनने पर बात बनी।

कर्नाटक सीएम को लेकर सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच अभी मनमुटाव जारी?
बेंगलुरु: कर्नाटक की नव गठित सरकार के मंत्री एमबी पाटिल ने कहा है कि सिद्धरमैया पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसने सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में कुछ हलचल पैदा कर दी है। राज्य का मुख्यमंत्री का कौन होगा, इसे लेकर दिल्ली में लंबी चौड़ी चर्चाएं हुई थीं और फिर 20 मई को सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। राज्य में 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटें जीत कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य की सत्ता से बाहर कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री पद पर सिद्धरमैया और शिवकुमार दोनों की दावेदारी मानी जा रही थी।
पिछले हफ्ते सरकार गठन से पहले पार्टी सूत्रों के हवाले से इस तरह की खबरें आई थी कि आलाकमान ने कर्नाटक में गतिरोध तोड़ने के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता बंटवारा या बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने की व्यवस्था कराई थी। इसी के तहत सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। पाटिल की टिप्पणी ने इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया कि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ढाई साल के बाद या 2024 के लोकसभा चुनाव के पश्चात मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे। पाटिल ने सोमवार शाम को कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
मंत्री के बयान से अप्रसन्न दिखे शिवकुमार ने सिर्फ इतना कहा कि इसे आलाकमान देखेगा जबकि बेंगलुरू ग्रामीण से सांसद उनके भाई डीके सुरेश ने कहा कि वह पाटिल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दे सकते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे। पाटिल से सोमवार को मैसूरु में पूछा गया था कि क्या सिद्धरमैया पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे या सत्ता बंटवारे को लेकर कोई फार्मूला है? इस पर उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया पांच साल के मुख्यमंत्री होंगे। अगर सत्ता बंटवारा या कुछ और होता तो, हमारा नेतृत्व आपको (मीडिया) को बताता। ऐसी कोई चीज़ नहीं है। जैसा कि हमारे एआईसीसी महासचिव ने कहा है कि चीज़ें चल रही हैं।
उन चर्चाओं के बारे में पूछे जाने पर कि लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को बदल दिया जाएगा और शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे तो पाटिल ने कहा कि अगर ऐसी बातें होतीं तो हमारे एआईसीसी महासचिव प्रेस वार्ता करते समय आपको बता देते। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। पाटिल ने आज अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने सोमवार को पत्रकारों के सामने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव के सी वेणुगोपाल का ही बयान दोहराया था जो उन्होंने (वेणुगोपाल ने) 18 मई को सिद्धरमैया का नाम मुख्यमंत्री और शिवकुमार का नाम उपमुख्यमंत्री पद के लिए घोषित करने के बाद प्रेस को दिया था। पाटिल ने यहां कहा कि सत्ता साझेदारी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने (वेणुगोपाल ने) कहा था कि सत्ता साझेदारी नहीं है। सत्ता की साझेदारी जनता के साथ है... मैंने वही कहा है जो वेणुगोपाल ने कहा था।
वहीं शिवकुमार पाटिल के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति जो कुछ भी कहना चाहता है उसे कहने दो। एआईसीसी महासचिव हैं, मुख्यमंत्री हैं और एआईसीसी अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खरगे) भी हैं। लेकिन शिवकुमार के भाई सुरेश ने पाटिल के बयान पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि सिद्धरमैया मुख्यमंत्री हैं। अगर आप अधिक जानकारी चाहते हैं और एम बी पाटिल के बयान का जवाब चाहते हैं, तो आप हमारे एआईसीसी महासचिव (रणदीप सिंह) सुरजेवाला से मिल सकते हैं और जानकारी एकत्र कर सकते हैं। मैं भी तीखी बातें कह सकता हूं, लेकिन मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं एम बी पाटिल के बयान का जवाब दे सकता हूं।
कांग्रेस पर तंज कसते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई ने पाटिल के बयान का वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है कि डी के शिवकुमार मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं, सिद्धरमैया उन्हें (मुख्यमंत्री) बनने नहीं दे रहे हैं। एमबी पाटिल ने इस बयान से शिवकुमार को सीधी चेतावनी भेजी है। भाजपा ने यह भी कहा कि अभी तक सभी घटनाक्रमों को देखते हुए इस बात के कोई संकेत या गारंटी नहीं है कि यह सरकार बहुमत पाने के बावजूद स्थिर रह पाएगी।
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