अल्लाह, कुरान और हिजाब, असदुद्दीन ओवैसी बोले- बीजेपी ने बेवजह बना दिया मुद्दा

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिजाब के मुद्दे पर बीजेपी राजनीति कर रही है। बीजेपी का मकसद इस तरह के मुद्दों को उठा कर सामाजिक धार्मिक सौहार्द खराब करने की है।

कर्नाटक हिजाब मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने गुरुवार को बंटा हुआ फैसला सुनाया। अब यह मामला बड़ी बेंच के हवाले है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस दीपक गुप्ता की टिप्पणियों को राजनीतिक दल अपने अपने अंदाज में व्याख्या कर रहे हैं। कर्नाटक के गृहमंत्री ने कहा कि मामला बड़ी बेंच के हवाले हैं लिहाजा उनका कुछ कहना सही नहीं है लेकिन फैसला कर्नाटक सरकार के लिए झटका नहीं है। वहीं एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अच्छा होता कि फैसला सर्वसम्मति से आया होता। जस्टिस धूलिया की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि हिजाब पहनना सिर्फ च्वाइस का मसला है। सुप्रीम कोर्ट के एक जज का फैसला को हिजाब के पक्ष में है।

बीजेपी ने बना दिया मुद्दा

ओवैसी का कहना है कि मेरे अनुसार उच्च न्यायालय का निर्णय कानून की दृष्टि से खराब था और सामग्री के मामले में बुरा था, इसने कुरान की टिप्पणियों और अनुवादों का दुरुपयोग किया। कर्नाटक की लड़कियां हिजाब इसलिए पहन रही हैं क्योंकि अल्लाह ने उन्हें कुरान में ऐसा करने के लिए कहा है। बीजेपी ने इसे बनाया मुद्दा। हिंदू समाज की औरतें मंगलसूत्र पहन कर जाती है कि हिजाब पर प्रतिबंध क्यों। बीजेपी हमेशा से मजहबी आधार पर समाज को बांटने का काम करती रही है। लेकिन अदालत के एक जज ने अपनी टिप्पणी के जरिए यह साबित किया कि आप ड्रेस के आधार शिक्षा से वंचित नहीं कर सकते।

जस्टिस सुधांशु धूलिया की टिप्पणी

पीठ के एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि लड़कियों को स्कूल के गेट में प्रवेश करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहना उनकी निजता पर हमला है, फिर उनकी गरिमा पर हमला है और अंततः उन्हें धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से वंचित करना है। अगर वह अपनी कक्षा के अंदर भी हिजाब पहनना चाहती है, तो उसे रोका नहीं जा सकता, अगर इसे उसकी पसंद के मामले में पहना जाता है, जैसा कि यह हो सकता है जिस तरह से उसका रूढ़िवादी परिवार उसे स्कूल जाने की अनुमति देगा, और उन मामलों में, उसका हिजाब उसकी शिक्षा का टिकट है। यह अदालत अपने सामने यह सवाल रखेगी कि क्या हम एक लड़की के जीवन को बेहतर बना रहे हैं। सिर्फ इसलिए कि वह हिजाब पहनती है उसकी शिक्षा से इनकार करके!

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया में कार्य करने का अनुभव है।और देखें

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