इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी सर्वेक्षण पर रोक गुरुवार तक के लिए बढ़ाई, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई शुरू हुई थी।
Gyanvapi Hearing: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर लगी रोक को बृहस्पतिवार तक के लिए बढ़ा दिया है। अदालत इस मामले में कल अपराह्न साढ़े तीन बजे सुनवाई करेगी। इस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर ने मामले में आगे की सुनवाई गुरुवार 27 जुलाई को भी जारी रखने का आदेश दिया। अदालत के आदेश के अनुपालन में एएसआई के वाराणसी केन्द्र के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी अदालत में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि एएसआई की टीम किसी भी तरह से ढांचे को क्षतिग्रस्त नहीं करने वाली है।
आगे की सुनवाई कल
सुनवाई के दौरान, शाम पांच बजे के बाद अदालत ने कहा कि चूंकि सुनवाई का समय पूरा हो गया है, इसलिए आगे की सुनवाई कल की जाएगी, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि एएसआई को सर्वक्षण शुरू करना है। इस पर, एएसआई के अधिकारी ने बताया कि एएसआई की टीम विवादित परिसर में नहीं है और अदालत के आदेश के बगैर सर्वेक्षण का कोई काम नहीं किया जाएगा। उच्च न्यायालय ने वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई शुरू की जो दोपहर साढ़े बारह बजे तक चली और दोपहर के भोजनावकाश के बाद सुनवाई फिर शाम साढ़े चार बजे से शुरू होकर पांच बजे तक चली।
मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंच गई कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसके समक्ष रखी गई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन संपूर्ण शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ये दलील
सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि एएसआई को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया और उसे सर्वेक्षण करने और इस मामले में विशेषज्ञ राय देने का निर्देश दिया गया। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मुकदमे में विशेषज्ञों को पक्षकार बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा कोई कानून नहीं है कि जिस मामले में विशेषज्ञ की राय ली जाती है उस मामले में उसे पक्षकार बनाया जाए। जैन ने हस्तलेख विशेषज्ञों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी मामले में इन्हें कभी पक्षकार नहीं बनाया गया, भले ही जरूरत पड़ने पर अदालत किसी मामले में हस्तलेख विशेषज्ञ की राय मांग सकती है।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने कहा कि वादी के पास वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है और वे एएसआई सर्वेक्षण की मदद से साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं। इसपर अदालत ने उनसे पूछा कि यदि कानून साक्ष्य के इस तरह के संग्रह की अनुमति देता है तो याचिकाकर्ता को क्या नुकसान होगा। नकवी ने कहा कि वाराणसी की अदालत के समक्ष मुकदमे में एएसआई सर्वेक्षण के लिए यह उचित चरण नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के सर्वेक्षण से ढांचे को किसी तरह का नुकसान होने नहीं जा रहा। इससे पूर्व, मस्जिद पक्ष के वकील ने आशंका जाहिर की थी कि सर्वेक्षण और खुदाई से ढांचे को नुकसान पहुंचेगा।
अदालत ने विशेषज्ञ को बुलाने को कहा
दोपहर के भोजनावकाश के बाद की सुनवाई शुरू होने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने अपर महान्यायवादी को वाराणसी से एएसआई के किसी ऐसे विशेषज्ञ को बुलाने को कहा जो अदालत को बता सके कि सर्वेक्षण की प्रक्रिया क्या होगी और यह कैसे किया जाएगा। भोजनावकाश के बाद शाम साढ़े चार बजे शुरू हुई सुनवाई में एएसआई के वाराणसी केन्द्र के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी ने अदालत को सर्वेक्षण के तरीकों के बार में विस्तार से बताते हुए आश्वासन दिया कि इससे ढांचे को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने सर्वेक्षण प्रक्रिया के संबंध में अदालत में एक हलफनामा भी दाखिल किया।
इस दौरान मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर आने से पूर्व अपने समक्ष आई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन संपूर्ण शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है।
सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया और उसे सर्वेक्षण करने और इस मामले में विशेषज्ञ राय देने का निर्देश दिया गया। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मुकदमे में विशेषज्ञों को पक्षकार बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा कोई कानून नहीं है कि जिस मामले में विशेषज्ञ की राय ली जाती है उस मामले में उसे पक्षकार बनाया जाए। जैन ने हैंडराइटिंग (लिखावट) विशेषज्ञों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी मामले में इन्हें कभी पक्षकार नहीं बनाया गया, भले ही जरूरत पड़ने पर अदालत किसी मामले में हैंडराइटिंग विशेषज्ञ की राय मांग सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ASI सर्वे पर दो दिन की रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्थाई स्टे के लिए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट का रुख करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 जुलाई शाम पांच बजे तक जिला अदालत का आदेश प्रभावी नहीं होगा, इस बीच मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट का रुख कर सकता है। इसी पर आज सुनवाई होगी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पहले कहा था कि ज्ञानवापी परिसर की फिलहाल यथास्थिति बनाए रखी जाए। बता दें, वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम सर्वे के लिए आज सुबह(सोमवार) को ज्ञानवापी परिसर पहुंची थी। इस बीच मुस्लिम पक्ष की ओर से ASI सर्वे पर स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है, मस्जिद परिसर की एक भी ईंट नहीं हटाई गई है और न ही इसे हटाने की योजना है। अभी जो चल रहा है वह पैमाइश, फोटोग्राफी और रडार है जो संरचना को प्रभावित नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को दर्ज किया और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एएसआई जिला अदालत के आदेश के अनुसार कोई खुदाई नहीं कर रहा है और एक सप्ताह तक किसी खुदाई नहीं की जाएगी।
चार टीमें कर रहीं सर्वे
जानकारी के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए एएसआई की 30 सदस्यीय टीम रविवार रात वाराणसी पहुंची थी। इसके बाद टीम ने वाराणसी कमिश्नर के साथ बैठक भी की थी। सोमवार सुबह एएसआई की चार अलग-अलग टीमें बनाई गईं, जो मस्जिद की पश्चिमी दीवार से लेकर गुंबद के नीचे तक सर्वे का काम कर रही हैं। जिला अदालत के आदेश के मुताबिक, सर्वे की पूरी वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है।
मस्जिद परिसर के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
एएसआई की टीम के साथ पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी भी मौजूद हैं। इस बीच ज्ञानवापी परिसर के बाहर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। आने-जाने वाले हर किसी व्यक्ति की गहनता से जांच की जा रही है। पूरे सर्वे की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, एएसआई की टीम 4 अगस्त तक अपनी सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।
वजूखाने का नहीं होगा सर्वे
बता दें, बीते शुक्रवार को वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे को अनुमति दे दी थी। हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिस वजूखाने वाले इलाकों को सील किया गया है, वहां पर किसी भी प्रकार का सर्वे नहीं किया जाएगा। दरअसल, अप्रैल 2022 में दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।
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