यूपी में भी होगी जातिगत जनगणना? हाई कोर्ट ने योगी सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

Caste census in UP : याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमसी त्रिपाठी एवं जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गिनती हुई है और ये जातियां क्रमश: 15 एवं 7.5 प्रतिशत हैं।

यूपी में जातीय जनगणना कराने की मांग तेज हो गई है।

Caste census in UP : बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी जातिगत जनगणना कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। रिपोर्टों के मुताबिक कोर्ट में यह जनहित याचिका गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता काली शंकर की ओर से दायर की गई है।

'ओबीसी की गणना दशकों से नहीं हुई'

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमसी त्रिपाठी एवं जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यूपी सरकार से चार हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गिनती हुई है और ये जातियां क्रमश: 15 एवं 7.5 प्रतिशत हैं। इन्हें इनकी आबादी की हिसाब से सुविधाएं दी जा रही हैं लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जातीय जनगणना दशकों से नहीं हुई है।

अखिलेश यादव भी कर चुके हैं मांग

यूपी में जातीय जनगणना कराने को लेकर मांग सियासत दोनों तेज हो गई है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा जातीय जनगणना कराए जाने की मांग बार-बार कर रही है। कुछ दिनों पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'हम समाजवादी और ज्यादातर लोग जातीय जनगणना चाहते हैं। सामाजिक न्याय का रास्ता जातीय जनगणना के बिना पूरा नहीं होगा। इससे समाज और लोकतंत्र मजबूत होगा। जातीय जनगणना से पता चलेगा कौन, कितना पीछे है, किसे कितनी मदद की जरूरत है।'

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