अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कृष्णानंद राय हत्याकांड में सजा पर रोक
Afzal Ansari News: कृष्णानंद राय हत्याकांड केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने अफजाल अंसारी को सजा के आदेश को रद्द कर दिया है, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता भी बरकरार रहेगी।
अफजाल अंसारी को बड़ी राहत।
Afzal Ansari: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा गैंगस्टर एक्ट में सुनाई गई 4 साल की सजा को रद्द कर दिया है। इस फैसल के बाद अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा भी टल गया है। सजा पर रोक लगाए जाने के बाद उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी। बता दें, बीते साल अप्रैल में कृष्णानंद राय हत्याकांड केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी।
2005 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद गैंगस्टर एक्ट में अफजाल पर यह मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही अदालत ने इसी मामले में अफजाल की सजा बढ़ाने की उत्तर प्रदेश सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष कुमार राय की अपील भी खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति एसके सिंह इस मामले में सुनवाई करते हुए गाजीपुर की अदालत के निर्णय को रद्द करने का आदेश पारित किया।
अफजाल और मुख्तार दोनों को सुनाई गई थी सजा
गाजीपुर की सांसद-विधायक अदालत ने 29 अप्रैल 2023 को अफजाल को गैंगस्टर कानून के मामले में दोषी करार दिया था और उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को भी दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद, अफजाल सांसद के तौर पर अयोग्य हो गए जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
चार जुलाई को सुरक्षित रखा था फैसला
उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई 2023 को अफजाल को जमानत दे दी, लेकिन इस मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जिसके चलते उन्हें जेल से तो रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी सांसदी बहाल नहीं हुई। साथ ही वह भविष्य में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए क्योंकि उन्हें सुनाई गई सजा दो वर्ष से अधिक की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में चार जुलाई 2024 को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
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