Gyanvapi Mosque परिसर में ASI सर्वे पर तीन अगस्त तक रोक- इलाहाबाद HC का फैसला, जानिए कोर्ट में क्या कुछ हुआ

Gyanvapi Case News : यूपी सरकार ने कोर्ट से कहा कि वह हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव नहीं करती है। वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपना पूरा योगदान देगी। मस्जिद के सर्वे पर हाई कोर्ट को आज अपना फैसला सुनाना है। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करने के लिए एएसआई को आदेश दिया है।

Gyanvapi Masjid Case

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर 3 अगस्त तक रोक।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Gyanvapi Case News: उत्तर प्रदेश (यूपी) के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले पर गुरुवार (27 जुलाई, 2023) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) सर्वे पर तीन अगस्त 2023 तक के लिए रोक लगा दी। अदालत इसी दिन अपना फैसला सुनाएगी।
दरअसल, हिंदू पक्ष के हलफनामे के बाद मामले में मुस्लिम पक्ष ने अपना जवाब दाखिल किया था। हाई कोर्ट ने पूछा कि एएसआई अपना सर्वे का काम कब तक पूरा कर सकता है। जवाब में उसने कहा कि चार अगस्त तक सर्वे का काम पूरा हो सकता है। यूपी सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव नहीं करती है। वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपना पूरा योगदान देगी।
वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करने के लिए एएसआई को आदेश दिया है। जिला अदालत के इस फैसले को अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने चुनौती दी है।

सबूत इकट्ठा करने से नहीं रोक सकते-कोर्ट

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि याचिका की मेंटनेबिलिटी तय किए बगैर मामले की सुनवाई बेकार है। मुस्लिम पक्ष की दलील पर कोर्ट ने कहा कि किसी को सबूत इकट्ठा करने से नहीं रोक सकते

ASI सर्वे पर हिंदू पक्ष की दलील

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने मस्जिद का ASI सर्वे कराने के पक्ष में दलील दी। उन्होंने कहा कि सबूत एकत्र करने के लिए मस्जिद का सर्वे करना जरूरी है। कानून ASI को पार्टी बनाने के लिए कहता है। कानून परिसर का सर्वे करने की भी इजाजत देता है।

बुधवार को हुई सुनवाई

कमेटी की अपील पर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई शुरू की जो दोपहर साढ़े बारह बजे तक चली और दोपहर के भोजनावकाश के बाद सुनवाई फिर शाम साढ़े चार बजे से शुरू होकर पांच बजे तक चली। मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंच गई कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसके समक्ष रखी गई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की।

साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं-कमेटी

उन्होंने कहा कि निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन संपूर्ण शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है। सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि एएसआई को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया और उसे सर्वेक्षण करने और इस मामले में विशेषज्ञ राय देने का निर्देश दिया गया।

जैन ने दी दलील

इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मुकदमे में विशेषज्ञों को पक्षकार बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा कोई कानून नहीं है कि जिस मामले में विशेषज्ञ की राय ली जाती है उस मामले में उसे पक्षकार बनाया जाए। जैन ने हस्तलेख विशेषज्ञों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी मामले में इन्हें कभी पक्षकार नहीं बनाया गया, भले ही जरूरत पड़ने पर अदालत किसी मामले में हस्तलेख विशेषज्ञ की राय मांग सकती है।

ढांचे को नुकसान नहीं होगा-जैन

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने कहा कि वादी के पास वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है और वे एएसआई सर्वेक्षण की मदद से साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं। इसपर अदालत ने उनसे पूछा कि यदि कानून साक्ष्य के इस तरह के संग्रह की अनुमति देता है तो याचिकाकर्ता को क्या नुकसान होगा। नकवी ने कहा कि वाराणसी की अदालत के समक्ष मुकदमे में एएसआई सर्वेक्षण के लिए यह उचित चरण नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के सर्वेक्षण से ढांचे को किसी तरह का नुकसान होने नहीं जा रहा।

अदालत में हलफनामा दाखिल

इससे पूर्व, मस्जिद पक्ष के वकील ने आशंका जाहिर की थी कि सर्वेक्षण और खुदाई से ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। दोपहर के भोजनावकाश के बाद की सुनवाई शुरू होने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने अपर महान्यायवादी को वाराणसी से एएसआई के किसी ऐसे विशेषज्ञ को बुलाने को कहा जो अदालत को बता सके कि सर्वेक्षण की प्रक्रिया क्या होगी और यह कैसे किया जाएगा। भोजनावकाश के बाद शाम साढ़े चार बजे शुरू हुई सुनवाई में एएसआई के वाराणसी केन्द्र के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी ने अदालत को सर्वेक्षण के तरीकों के बार में विस्तार से बताते हुए आश्वासन दिया कि इससे ढांचे को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने सर्वेक्षण प्रक्रिया के संबंध में अदालत में एक हलफनामा भी दाखिल किया।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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