AltNews के मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा कभी भी नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में नहीं थे, टाइम्स नाउ का खुलासा
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा कभी भी पसंदीदा नाम में शामिल नहीं थे। टाइम्स नाउ की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। ये नाम पसंसदीदा तो दूर नामांकित भी नहीं थे।

मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा कभी भी नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में नहीं थे
नोबेल के शांति पुरस्कार की शुक्रवार को घोषणा हो गई। इस घोषणा से पहले भारत में चर्चा थी कि अल्ट न्यूज के फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा को यह पुरस्कार मिल सकता है। टाइम मैगजीन ने इस बात का जिक्र किया था कि ये नाम नोबेल शांति पुरस्कार की पसंदीदा लिस्ट में शामिल थे। हालांकि जब टाइम्स नाउ ने इसकी जांच की तो यह दावा गलत निकला।
टाइम ने 4 अक्टूबर को यह दावा किया था, लेकिन क्या टाइम मैगजीन के पास जुबैर और प्रतीक को पसंदीदा के रूप में दावा करने का कोई तथ्यात्मक आधार था? इसका पता लगाने के लिए, टाइम्स नाउ ने नोबेल समिति से संपर्क किया था, जिसने स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार किया कि दावेदारों की कोई शॉर्टलिस्ट थी।
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नोबेल समिति ने टाइम्स नाउ को एक ईमेल के जवाब में कहा कि वह न तो मीडिया को और न ही खुद उम्मीदवारों को उनके नामों के बारे में बताती है। इसके अलावा, समिति 50 वर्षों की अवधि के लिए ऐसे नामांकन संबंधी आंकड़ों का खुलासा नहीं करती है। समिति ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये अनुमान सरासर अटकलें हैं और कुछ नहीं।
गौर करने वाली बात है कि टाइम पत्रिका ने नामांकित व्यक्तियों पर अपनी रिपोर्ट में तीन स्रोतों का उल्लेख किया - एक रॉयटर्स सर्वेक्षण, जिसमें प्रतीक और जुबैर के नाम नहीं थे। दूसरा सट्टेबाजों की संभावना, जिसमें भी दोनों का कोई उल्लेख नहीं था और तीसरा PRIO निदेशक की लिस्ट थी। इसी लिस्ट में इन दोनों के नाम थे। बता दें कि नामांकित या विजेताओं को तय करने में इसकी कोई भूमिका नहीं होती है।
इस लिस्ट में निर्देशक-हेनरिक उरदल-ने जुबैर और प्रतीक के नामों का केवल "अन्य योग्य दावेदारों" के रूप में उल्लेख किया। उनके नाम PRIO निदेशक द्वारा सूचीबद्ध पांच सिफारिशों की सूची में भी नहीं थे।
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