Amarnath Yatra 2024: हौंसले को सलाम! 2002 में एक्सीडेंट में दोनों पैर गंवाने वाला शख्स कर रहा अमरनाथ की 12वीं यात्रा

अमरनाथ यात्रा के पहले दिन करीब 14,000 तीर्थयात्रियों ने 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा मंदिर में मत्था टेका यह यात्रा 29 जून को पहलगाम और बालटाल से शुरू हुई, इस यात्रा में बाबा बर्फानी का एक विकलांग भक्त आनंद सिंह भी है जिसकी ये 12 वीं यात्रा है।

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दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद से आनंद सिंह की अमरनाथ की 12वीं यात्रा है

मुख्य बातें
  1. वर्ष 2002 में दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद से आनंद सिंह की अमरनाथ की 12वीं यात्रा है
  2. आनंद सिंह केवल तीन बार यात्रा से चूके हैं, एक साल बाढ़ और दो साल कोविड के कारण
  3. उनकी भक्ति ने उनकी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया है
राजस्थान के आनंद सिंह (Anand Singh) उन 6,000 तीर्थयात्रियों के तीसरे जत्थे में शामिल हैं, जो हिमालय में वार्षिक अमरनाथ तीर्थयात्रा (Amarnath Yatra 2024) में भाग लेने के लिए जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से रवाना हुए हैं। भगवान शिव के भक्त सिंह अमरनाथ की अपनी 12वीं यात्रा पर निकले हैं उनकी भक्ति ने उनकी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया है क्योंकि वे पवित्र गुफा मंदिर में पूजा करने के लिए 3,880 मीटर की ऊँचाई पर तीर्थयात्रा पर निकले हैं।
आनंद सिंह ने 2002 में एक दुर्घटना में अपने दोनों पैर खोने के बाद से केवल तीन बार यात्रा छोड़ी है उन्होंने कहा, 'मैंने 2010 में बाबा के दरबार में आना शुरू किया। मैं 2013 में केदारनाथ में बाढ़ के कारण और दो साल तक जब कोविड महामारी के कारण यात्रा स्थगित रही, तो मैं यात्रा से चूक गया।'
दो पैरों से विकलांग सिंह एक ट्रक के टायर के कटआउट में बैठते हैं और अपने हाथों का उपयोग करके चलते हैं। सिंह ने कहा, 'पहले चार या पाँच वर्षों तक, मैं अपने हाथों का उपयोग करके खुद को घसीटता था, लेकिन अब मेरे लिए यह मुश्किल हो गया है, मैं पालकी में यात्रा करता हूँ।'

उनका भगवान शिव के साथ एक 'विशेष' रिश्ता है

आनंद सिंह ने कहा कि उनका भगवान शिव के साथ एक 'विशेष' रिश्ता है, यह बंधन हर साल मजबूत होता जा रहा है इसलिए मैं यहाँ आता हूँ।'
अपनी विकलांगता के बावजूद, वह खुद को 'वंचित' (underprivileged) महसूस नहीं करते।

'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं'

उन्होंने कहा, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं। कुछ लोग मेरे प्रयासों को सकारात्मक रूप से देखते हैं, जबकि कुछ अन्य मेरी आलोचना करते हैं। सभी लोग एक जैसे नहीं होते।' सिंह ने पवित्र गुफा मंदिर में तब तक जाने का संकल्प लिया है, जब तक वह खुद ऐसा कर सकते हैं।

52 दिवसीय तीर्थयात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी

दक्षिण कश्मीर हिमालय के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में स्थित गुफा मंदिर की वार्षिक यात्रा 29 जून को शुरू हुई, 52 दिवसीय तीर्थयात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी बता दें कि गुफा की खोज 150 साल से भी पहले एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी।
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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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