अमरनाथ यात्रा की शुरुआत, सेना के काफिलों पर आतंकी हमले का खतरा बढ़ा

अमरनाथ यात्रा एक जुलाई से शुरू हो रही है। सैन्य काफिलों की बढ़ी हुई फ्रीक्वेंसी से आतंकी हमले का खतरा भी बढ़ा गया है। अमरनाथ यात्रियों के काफिले की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है जिसके चलते मूवमेंट को सुरक्षित रखने की चुनौती भी बढ़ गई है।

अमरनाथ यात्रा के दौरान सेना पर आतंकी हमलों को खतरा बड़ा (तस्वीर-फेसबुक)

अमरनाथ यात्रा को लेकर भारतीय सेना और सभी केंद्रीय सुरक्षाबलों ने अपना सुरक्षा चक्र तैयार कर लिया है लेकिन सड़क पर चलने वाले सेना के काफिलों के साथ-साथ अमरनाथ यात्रियों के काफिले की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है जिसके चलते मूवमेंट को सुरक्षित रखने की चुनौती भी बढ़ गई है। काफिलों की बढ़ी हुई संख्या की सबसे बड़ी वजह पिछले तीन सालों से सेना के जवानों के लिए चलने वाली चार्टर्ड प्राइवेट फ्लाइट का ना चलना है। दरअसल लद्दाख, जम्मू कश्मीर और अरुणाचल के फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात जवानों के लिए रक्षा मंत्रालय छुट्टी पर आने जाने के लिए चार्टर्ड फ्लाइट का प्रावधान करता आया है लेकिन 2020 में कोविड-19 के कारण कोई भी चार्टर्ड फ्लाइट नहीं चलाई गई।
कोविड-19 के बाद अब तक यह प्रक्रिया बहाल नहीं की जा सकी है। 2022 में किसी भी एयरलाइंस को चार्टर्ड फ्लाइट के लिए टेंडर नहीं दिया गया जिसकी वजह से फॉरवर्ड लोकेशन में तैनात जवानों के आने जाने के लिए सिर्फ सड़क का ही विकल्प बचा और सड़कों पर कॉन्वाय की संख्या बढ़ गई। 2023 में मार्च के बाद प्रक्रिया के हिसाब से गो फर्स्ट एयरलाइंस को चार्टर्ड फ्लाइट का ठेका दिया गया लेकिन मई में ही गो फर्स्ट एयरलाइंस फंड ना होने की वजह से बंद हो गई और जम्मू कश्मीर, लद्दाख, तवांग जैसे इलाकों में सैनिकों के आने जाने के लिए सिर्फ सड़क का विकल्प ही बचा।
चार्टर्ड फ्लाइट की गैरमौजूदगी में सड़क पर बढ़े हुए मूवमेंट को सिक्योर करना भारतीय सेना के लिए एक बड़ा टास्क बन चुका है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अमरनाथ यात्रा की शुरुआत के साथ जम्मू कश्मीर की संवेदनशील सड़कों पर हर रोज सौ से डेढ़ सौ काफिले गुजर रहे हैं जो आतंकी घटना की वजह बन सकते हैं। जवानों के छुट्टी आने और जाने के लिए चार्टर्ड फ्लाइट का प्रावधान रक्षा मंत्रालय के साथ गृह मंत्रालय ने भी किया है।
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