अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय है 'महाकाल लोक', जानें उज्जैन नगरी की महिमा

Ujjain Mahakaal: पवित्र नगरी उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकाल की महिमा का विभिन्न पुराणों में विस्तृत वर्णन किया गया है। कालिदास जैसे संस्कृत के महान कवियों ने इस मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। उज्जैन प्राचीन काल से भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था।

अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय है 'महाकाल लोक'।

मुख्य बातें
  1. नवनिर्मित महाकाल लोक से बदला उज्जैन का नजारा
  2. धर्म नगरी उज्जैन को मिलेगी एक नई पहचान
  3. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल
Ujjain Mahakaal: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सत्ता में आने के बाद देश आधारभूत संरचनाओं के मामले में न केवल विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को दुनिया के मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। उनके कुशल नेतृत्व में हमारे देश के कई वर्षों की समृद्ध विरासत को न केवल संजोने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने का भी बेहतर प्रयास किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर से लेकर केदारनाथ धाम, रामजन्मभूमि से लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के सौंदर्यीकरण और सोमनाथ मंदिर जैसे देश के इन ऐतिहासिक स्थलों का अब कायाकल्प हो गया है। अब इसी क्रम में देश के हृदय स्थल मध्य प्रदेश का महाकाल लोक भी तैयार है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को करने जा रहे हैं। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में देश को बड़ी सौगात भी मिली थी, लेकिन उससे कहीं अधिक भव्य महाकाल लोक की परिकल्पना इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही है।
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धार्मिक नगरी उज्जैन का प्राचीन वैभव विराट
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महाराज विक्रमादित्य की प्रसिद्ध नगरी उज्जैन (Ujjain) भारत की अत्यंत प्राचीन नगरी है। पुरातन साहित्य में अनेक स्थान पर इसकी महिमा बताई गई है। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से उज्जैन का बड़ा महत्व रहा है। पौराणिक महत्त्व की दृष्टि से इसका उज्जयिनी नाम इसलिए पड़ा कि त्रिपुरासुर को मारने के लिए देवताओं के साथ भगवान शिव ने महाकाल वन में रक्तदन्तिका चंडिका की आराधना करके महापाशुपत अस्त्र प्राप्त किया और उससे त्रिपुरासुर का वध किया। प्रबल शत्रु को 'उज्जित ' करने के कारण ही इसका नाम उज्जयिनी पड़ा जो आगे चलकर उज्जैन के नाम से जाना जाने लगा। इसका प्राचीन नाम अवंतिका भी कहा जाता है। यह पवित्र नगरी देवता, तीर्थ, औषधि, बीज और प्राणियों का ‘अवन’ अर्थात रक्षण करती है। स्कंदपुराण में इस नगरी को 7 प्राचीन नगरियों में गिना जाता है। यह नगरी काशी से दस गुना पुण्यदायी बताई गई है।
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