खालिस्तानी उत्पात पर भारत की नाराजगी से अमेरिका-ब्रिटेन में मची खलबली, सरकारों को देनी पड़ी सफाई

Khalistan protests : ब्रिटेन की तरह अमेरिका में भी खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय दूतावास को निशाना बनाया। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने रविवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर वहां तोड़फोड़ की थी। खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए अस्थायी सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए।

khalistan protest

दूतावासों पर हुए प्रदर्शन पर भारत ने जताई है कड़ी प्रतिक्रिया।

Khalistan protests : लंदन और सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावासों पर खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन एवं उत्पात पर भारत सरकार ने सख्त तेवर दिखाए हैं। दोनों घटनाओं पर भारत ने ब्रिटेन और अमेरिका से नाराजगी जाहिर करते हुए अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत सरकार ने कहा है कि 'इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों, इसे सुनिश्चित करने के लिए उचित एवं पर्याप्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।' भारत की प्रतिक्रिया पर अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों में खलबली मची हुई है। दोनों सरकारों ने इस पर अपनी सफाई दी है।

लंदन में उच्चायोग की इमारत से तिरंगा उतारने का प्रयासब्रिटेन में रविवार को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पहुंचे। इन प्रदर्शनकारियों के हाथों में खालिस्तानी झंडे थे। खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हुए इन्होंने उच्चायोग के ऊपर फहराए गए तिरंगे को उतारने का प्रयास किया। घटना के बाद हिंसक उपद्रव के संबंध में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए भारत ने दिल्ली में ब्रिटेन के उप-उच्चायुक्त को तलब किया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त को तलब किया गया और उनसे लंदन की घटना के मामले में दोषियों को जल्द गिरफ्तार करने और अभियोग चलाने की मांग की गई।

सैन फ्रांसिस्को में दूतावास में तोड़फोड़

ब्रिटेन की तरह अमेरिका में भी खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय दूतावास को निशाना बनाया। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने रविवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर वहां तोड़फोड़ की थी। खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए अस्थायी सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए। हालांकि, वाणिज्य दूतावास के दो कर्मियों ने जल्द ही उन झंडों को हटा दिया। प्रदर्शनकारियों का एक समूह वाणिज्य दूतावास परिसर में घुस गया और दरवाजे एवं खिड़कियां तोड़ दीं।

जॉन किर्बी घटना की कड़ी निंदा की

सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की अमेरिकी ने निंदा की है और इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया। व्हाइट हाउस में रणनीतिक संचार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद समन्वयक जॉन किर्बी ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘यह हमला पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’ किर्बी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘विदेश मंत्रालय की राजनयिक सुरक्षा सेवा स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर मामले को देख रही है। मैं सैन फ्रांसिस्को पुलिस की तरफ से कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि उचित जांच के लिए राजनयिक सुरक्षा सेवा, स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है। जाहिर तौर पर विदेश मंत्रालय नुकसान की भरपाई के लिए काम करेगा लेकिन यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।’

सांसद बॉब ब्लैकमैन बोले-गिरफ्तार हों बवाली

खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन पर ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा कि ब्रिटेन में सिखों का एक बड़ा समुदाय खालिस्तानी आंदोलन को खारिज करता है। सांसद ने कहा कि खालिस्तान की मांग करने वालों की तादात बहुत थोड़ी है। इस तरह की घटना के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए।

अमेरिकी NSA को देना पड़ा बयान

सैन फ्रांसिस्को में हुई घटना पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन को बयान देना पड़ा है। उन्होंने कहा, 'सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुई हिंसा की हम निंदा करते हैं। हम दूतावासों और यहां काम करने वाले राजनयिकों को सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विदेश मंत्रालय स्थानीय कानूनी एजेंसियों के साथ संपर्क में है और वह देख रहा है कि इस मामले में आगे कौन की कार्रवाई की जा सकती है।'

थरूर ने कहा-भारत को अपने सुरक्षाकर्मी भेजने चाहिए

भारतीय उच्चायोग एवं दूतावास पर हुए प्रदर्शन को लेकर भारत की विपक्ष पार्टियों ने वहां की सुरक्षा को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि इस तरह की घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता। दूतावासों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वियना कंवेंशन के मुताबिक संबंधित देशों की है। दिल्ली में उनके दूतावासों की सुरक्षा भारत सरकार करती है। यदि वे हमारे राजनयिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा नहीं कर सकते तो हमें अपने सुरक्षाकर्मियों को वहां तैनात करना चाहिए।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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