आपराधिक कानूनों की जगह लेंगे ये 3 विधेयक, लोकसभा में अमित शाह ने पेश किए बिल
Redrafted Bills in Loksabha: एक विधेयक में 'आतंकी कृत्य' की परिभाषा का दायरा बढ़ाने वाला है। नए सिरे से पेश किए गए विधेयकों में आतंकवाद की परिभाषा समेत कम से कम पांच बदलाव किए गए हैं। एक विधेयक में 'आतंकी कृत्य' की परिभाषा का दायरा बढ़ाने वाला है।
लोकसभा में विधेयक पेश करने के बाद अमित शाह।
Redrafted Bills in Loksabha: केंद्र सरकार अंग्रेजों के समय में बने कानूनों को एक-एक कर समाप्त करते हुए उनकी जगह ज्यादा प्रासंगिक विधेयकों को पेश कर कानून बना रही है। इसी क्रम में उसने मंगलवार को लोकसभा में आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन विधेयकों को वापस ले लिया और इनकी जगह नए विधेयक पेश किए। इन मसौदा विधेयकों में संसद की स्थायी समिति के सुझावों को शामिल किया गया है। एक विधेयक में 'आतंकी कृत्य' की परिभाषा का दायरा बढ़ाने वाला है। नए सिरे से पेश किए गए विधेयकों में आतंकवाद की परिभाषा समेत कम से कम पांच बदलाव किए गए हैं। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक में आतंकवाद की परिभाषा में अब अन्य परिवर्तनों के साथ-साथ ‘‘आर्थिक सुरक्षा’’ शब्द भी शामिल है।
शाह ने नए विधेयकों को पेश किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र में सदन में पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को वापस लेने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने मंजूरी दी। इसके बाद उन्होंने नए विधेयकों को पेश किया।
1872 के कानूनों का स्थान लेंगे ये विधेयक
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेने के लिए लाया गया है। शाह ने मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को सदन में ये विधेयक पेश किए थे। बाद में इन्हें गृह मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था।
धारा 73 में बदलाव
विधेयक में धारा 73 में बदलाव किए गए हैं, जिससे अदालत की ऐसी कार्यवाही प्रकाशित करना दंडनीय हो जाएगा जिसमें अदालत की अनुमति के बिना बलात्कार या इसी तरह के अपराधों के पीड़ितों की पहचान उजागर हो सकती है। धारा 73 में अब कहा गया है, ‘जो कोई भी अदालत की पूर्व अनुमति के बिना धारा 72 में निर्दिष्ट अपराध के संबंध में अदालत के समक्ष किसी भी कार्यवाही के संबंध में किसी भी मामले को प्रिंट या प्रकाशित करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी। इसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।’
कांग्रेस ने कहा-संयुक्त प्रवर समिति को भेजें बिल
नए विधेयक सदन में पेश करते हुए अमित शाह ने कहा, ‘मैंने तीनों विधेयकों को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया था। गृह मामलों की समिति ने कई सुझाव दिए थे। इतने सारे संशोधन लाने की जगह हमने नया विधेयक लाने का फैसला किया।’लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इन विधेयकों को संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाए। इस पर शाह ने कहा कि आगे अगर संशोधनों की जरूरत होगी तो ऐसा किया जाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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