E Buses in Jammu: जम्मू में ई-बसों सेवा की हुई शुरुआत, गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल मोड से दिखाई हरी झंडी

अमित शाह ने जम्मू में 100 इलेक्ट्रॉनिक बसों का शुभारंभ किया और जम्मू-कश्मीर संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के 2024 बैच के उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र भी वितरित किए।

अमित शाह ने जम्मू की ई-बस सेवाओं का किया शुभारंभ

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को जम्मू में ई-बस सेवा शुरू की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू-कश्मीर संयुक्त परीक्षा-2024 और अनुकंपा नियुक्ति के लिए 1000 से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित किए। अपने संबोधन में शाह ने कहा कि 100 पूर्ण वातानुकूलित ई-बसें जम्मू के लोगों को समर्पित की गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि 561 करोड़ रुपये की लागत से 12 वर्षों तक इन बसों के संचालन और रखरखाव के साथ यह परियोजना शुरू हो गई है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया भर में पर्यावरण जागरूकता फैलाई है और इस दिशा में बेहतरीन कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पूरे देश में ई-बसों की योजना लागू की है और उसी के तहत आज जम्मू को 100 ई-बसें मिल रही हैं। "इनमें से 25 बसें 12 मीटर लंबी हैं और 75 बसें 9 मीटर लंबी हैं।"

परीक्षा पत्र के आधार पर दी गई नौकरियां- शाह

शाह ने कहा कि जम्मू के लोगों के लिए एक विश्वसनीय, आरामदायक, किफायती और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन सुविधा आज से शुरू हो गई है। ये बसें जम्मू से कटरा, कठुआ, उधमपुर और जम्मू के आंतरिक मार्गों पर भी चलेंगी। ये बसें न केवल आने वाले दिनों में लोगों की आने-जाने की दिक्कतें दूर करेंगी बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी होंगी। गृह मंत्री ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर संयुक्त परीक्षा-2024 बैच के 209 सफल अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति पत्र मिल गया है। इनमें जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 96 अधिकारी, अकाउंट गजट सेवा के 63 अधिकारी और पुलिस सेवा के 50 अधिकारी शामिल हैं।

मंत्री ने कहा कि आज से इन अधिकारियों के जीवन में एक नई शुरुआत हो रही है और इस समय इन अधिकारियों की सोच उनके पूरे जीवन के लिए मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेगी। शाह ने कहा कि पीएम मोदी के शासन में पारदर्शी व्यवस्था के कारण इन अधिकारियों को योग्यता के आधार पर ये नौकरियां मिली हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी के कार्यकाल में सिफ़ारिश पर्ची के आधार पर नहीं बल्कि परीक्षा पत्र के आधार पर नौकरियां दी गईं। "पहले राजनीतिक सिफारिश या भ्रष्टाचार के बिना नौकरी पाना असंभव था। अब जम्मू-कश्मीर बदलाव के दौर से गुजर रहा है और आतंकवाद, बम विस्फोट, गोलीबारी, पथराव और हड़ताल की जगह अब पढ़ाई, स्कूल, कॉलेज, विभिन्न संस्थान खुल रहे हैं।" यहां उद्योग और बुनियादी ढांचा देखने को मिल रहा है।”

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