इलेक्टोरल बॉन्ड पर अमित शाह का बड़ा बयान, बोले-चुनाव में काला धन यदि बढ़ा तो इसका विकल्प तलाशेंगे, संसद में होगी चर्चा
Electoral Bond Scheme : यह पूछे जाने पर कि इलेक्टोरल बॉन्ड का क्या विकल्प हो सकता है? गृह मंत्री ने कहा कि इस बारे में अलग-अलग राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों से चर्चा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'इस बारे में संसद में चर्चा करने की जरूरत है। हम इसके बारे में सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करेंगे।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर अमित शाह का बयान।
Electoral Bond Scheme : इलेक्टोरल बॉन्ड पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ी बात कही है। गृह मंत्री का मानना है कि बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद लोकसभा चुनाव में काले धन का प्रभाव बढ़ा होगा। उन्होंने कहा कि इसका विकल्प ढूंढना संसद का काम है। शाह ने कहा कि काले धन का प्रवाह यदि बढ़ता है तो इसे रोकने के लिए विकल्प तलाशा जाना चाहिए।
फरवरी में एससी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द किया
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में गृह मंत्री ने कहा कि यह योजना पहचान छिपाकर राजनीतिक दलों को चंदा देने की अनुमति देती थी। चंदा देने वाले लोग एसबीआई से बॉन्ड खरीदते थे लेकिन एक महत्वपूर्ण समय पर इसे रद्द कर दिया गया। बता दें कि लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ठीक पहले फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया।
विकल्प पर संसद में बहस होनी चाहिए-शाह
गृह मंत्री ने कहा, 'मेरा मानना है, यह मेरा अनुमान भी हो सकता है। इससे राजनीति एवं लोकसभा चुनाव में काले धन का प्रभाव बढ़ेगा। वित्तीय वर्ष में राजनीतिक दल जब अपने लेन-देन का हिसाब रखते हैं तो वह बताते हैं कि उन्हें नकद और चेक के जरिए कितना चंदा मिला। यह बात सभी को पता चलती है। इलेक्टोरल बॉन्ड के समय चेक से मिलने वाले चंदे की संख्या 96 फीसदी तक पहुंच गई थी।' उन्होंने कहा, 'अब काले धन का प्रभाव यदि बढ़ता है तो इसका विकल्प तलाशा जाना चाहिए। इस पर संसद में बहस होनी चाहिए।'
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सभी हितधारकों से चर्चा करने की जरूरत-गृह मंत्री
यह पूछे जाने पर कि इलेक्टोरल बॉन्ड का क्या विकल्प हो सकता है? गृह मंत्री ने कहा कि इस बारे में अलग-अलग राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों से चर्चा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'इस बारे में संसद में चर्चा करने की जरूरत है। हम इसके बारे में सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करेंगे। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके बारे में जो बातें कही हैं, वह भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस बारे में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सलाह-मशविरा किया जाएगा। हमें सामूहिक रूप से चर्चा करनी होगी और एक नया विकल्प तलाश तलाशना होगा।'
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'सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है'
गत फरवरी में इलेक्टोल बॉन्ड पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे असंवैधानिक बताया। पांच जजों की पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे वाली चुनावी बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'आर्थिक असमानता के कारण धन और राजनीति के बीच गहरे संबंध के कारण राजनीतिक जुड़ाव के स्तर में गिरावट आती है।'
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