'G-20 से भारत निकल जाएगा अगर नहीं बनी सहमति, PM ने कहा था सदस्य देशों तक मेरा संदेश पहुंचा दो', अमिताभ कांत का खुलासा

Amitabh Kant : जी-20 सम्मेलन के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, 'पीएम मोदी मानते थे कि हमें बहुत ही महात्वाकांक्षी होने की जरूरत है। हमें समावेशी और निर्णायक होना होगा। साथ ही हमारा कदम अत्यंत ही सधा होना चाहिए। हम 83 पैरा के 212 निष्कर्षों में सहमति बनाने में सफल रहे।

Amitabh Kant

गत सितंबर महीने में दिल्ली में आयोजित हुआ था जी-20 सम्मेलन।

मुख्य बातें
  • गत नौ-10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित हुआ था जी-20 सम्मेलन
  • अमेरिका चाहता था कि यूक्रेन युद्ध के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया जाए
  • भारत इसके लिए तैयार नहीं था, वह संयुक्त घोषणापत्र पर सहमति चाहता था

Amitabh Kant : जी-20 सम्मेलन के शेरपा रहे अमिताभ कांत ने 'नई दिल्ली घोषणापत्र' पर सहमति बनाने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। कांत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि वह जी-20 के सदस्य देशों तक उनकी यह बात पहुंचा दें कि इस घोषणापत्र पर यदि सहमति नहीं बनती है तो भारत इस समूह से निकल जाएगा। बता दें कि पिछले जी-20 सम्मेलन की मेजबानी 9-10 सितंबर को भारत ने की। सम्मेलन से पहले ही इस बात की आशंकाएं थीं कि शायद 'नई दिल्ली घोषणापत्र' पर सहमति न बने और संयुक्त घोषणापत्र जारी न हो लेकिन भारत की कूटनीति रंग लाई।

घोषणापत्र की भाषा को लेकर आपत्ति थी

भारत जिस तरह से संयुक्त घोषणापत्र और उसकी भाषा रखना चाहता था, वैसा ही हुआ। अमेरिका सहित पश्चिमी देश चाहते थे कि संयुक्त घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया जाए और उसकी आलोचना हो लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं था। सम्मेलन के अंत में जी-20 का जो संयुक्त घोषणापत्र जारी हुआ उसमें यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो हुआ लेकिन रूस का कहीं नाम नहीं आया। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी गई। हालांकि, पश्चिमी देशों का दबाव था कि घोषणापत्र में रूस का नाम लिया जाए।

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किताब के विमोचन के मौके पर किया खुलासा

कांत ने यह बात दिल्ली में डॉक्टर आर बालासुब्रमण्यम की पुस्तक 'पावर विदिन : द लीडरशिप लीगेसी ऑफ नरेंद्र मोदी' के विमोचन के मौके पर कही। बालासुब्रमण्यम ह्यूमन रिसोर्स ऑफ द कैपिसिटी बिल्डिंग कमीशन के सदस्य और डेवलपमेंट एक्सपर्ट हैं।

संयुक्त घोषणापत्र के 16 मसौदों पर बात नहीं बनी

कांत ने कहा, 'पीएम मोदी मानते थे कि हमें बहुत ही महात्वाकांक्षी होने की जरूरत है। हमें समावेशी और निर्णायक होना होगा। साथ ही हमारा कदम अत्यंत ही सधा होना चाहिए। हम 83 पैरा के 212 निष्कर्षों में सहमति बनाने में सफल रहे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। एक पैरा जो कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर था, इस पर सहमति बनाने के लिए हमने 300 घंटे से ज्यादा बातचीत की। संयुक्त घोषणापत्र के 16 मसौदों पर बात नहीं बनी। इसके बाद 17वें मसौदे पर हमें सफलता मिली। इस दौरान पीएम मोदी हर दो घंटे पर अपडेट ले रहे थे। उन्होंने मुझसे कह दिया था कि संयुक्त घोषणापत्र पर यदि जी-20 के सदस्य देश से सहमति नहीं बनाते हैं तो भारत इस समूह का हिस्सा नहीं होगा।'

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...तो भारत जी-20 से निकल जाएगा

कांत ने आगे कहा कि शेरपाओं की अंतिम बैठक समिट शुरू होने से पहले करीब छह घंटे चली। कांत के मुताबिक उन्होंने सदस्य देशों के शेरपाओं को यह बात बता दी थी कि घोषणापत्र के अंतिम मसौदे को यदि स्वीकार नहीं किया गया तो भारत जी-20 से निकल जाएगा। नौ सितंबर की सुबह तक अमेरिका को छोड़कर बाकी सभी विकासशील बाजार वाले देश इस अंतिम मसौदे से सहमत हो गए। उन्होंने कहा कि अमेरिका मसौदे में एक शब्द में बदलाव चाहता था और वह यह भी चाहता था कि रूस एवं चीन इस पर अपनी सहमति दें। कांत ने कहा कि इसे लेकर अमेरिका, रूस और चीन के शेरपाओं के साथ तीन घंटे तक बैठक चली और फिर 12.30 बजे मसौदे पर सहमति बनी। इसके आधे घंटे बाद पीएम मोदी ने घोषणापत्र पर सहमति बन जाने की घोषणा की।

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आलोक कुमार राव author

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