Amrit Udyan: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्यान उत्सव 2023 का किया उद्घाटन, आम लोगों के लिए इस दिन से खुलेगा अमृत उद्यान
Amrit Udyan: मुगल गार्डन का नाम बदल कर अमृत उद्यान करने के बाद 29 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन उद्यान उत्सव 2023 का उद्घाटन किया। आम लोगों के लिए अमृत उद्यान 31 जनवरी 2023 से 26 मार्च 2023 तक खुला रहेगा। स्पेशल कैटेगरी के लोगों के लिए 28 मार्च से 31 मार्च तक खुला रहेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन उद्यान उत्सव 2023 का उद्घाटन किया।
Amrit Udyan: मोदी सरकार ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। इसके एक दिन बाद 29 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन उद्यान उत्सव 2023 उद्घाटन किया और इसकी शोभा बढ़ाई। अमृत उद्यान देखने के लिए आने वालों के लिए यह उद्यान 31 जनवरी 2023 से 26 मार्च 2023 तक खुला रहेगा। यह उद्यान सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहेगा। लेकिन प्रत्येक सोमवार को मुगल गार्डन यानी अमृत उद्यान बंद रहेगा। इस दिन उद्यान में मेंटनेन्स का काम होता है। आठ मार्च को होली है इस दिन भी अमृत उद्यान बंद रहेगा। सरकार ने पिछले साल दिल्ली के प्रतिष्ठित राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था। केंद्र का कहना है कि इन चीजों के नाम में बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को हटाने का प्रयास है।
28 मार्च से 31 मार्च तक निम्नलिखित दिनों में अमृत उद्यान (Amrit Udyan) विशेष श्रेणियों के लोगों खुले रहेंगे
- 28 मार्च को किसानों के लिए।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 29 मार्च को।
- 30 मार्च को रक्षा बलों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के कर्मियों के लिए।
- 31 मार्च को आदिवासी महिला एसएचजी सहित महिलाओं के लिए।
मूल रूप से, राष्ट्रपति भवन के उद्यान में ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन शामिल हैं। पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान, हर्बल-एक, हर्बल-दो, बोन्साई गार्डन और आरोग्य वनम नामक कई उद्यान विकसित किए गए थे। इस साल के उद्यान उत्सव में, कई अन्य आकर्षणों के बीच, आगंतुक 12 अनूठी किस्मों के विशेष रूप से उगाए गए ट्यूलिप देख पाएंगे।
आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन उद्यानों को अमृत उद्यान के रूप में एक सामान्य नाम देकर प्रसन्न हैं। अमृत उद्यान 15 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 150 से अधिक किस्मों के गुलाब, और ट्यूलिप, एशियाई लिली, डैफोडील्स और अन्य सजावटी फूल हैं। गुलाब आज भी प्रसिद्ध बगीचों की एक प्रमुख विशेषता है। उद्यानों में गुलाब की 159 प्रसिद्ध किस्में उगाई जाती हैं जो मुख्य रूप से फरवरी और मार्च के महीने में खिलते हैं। उद्यान में 101 ज्ञात प्रकार के बोगनवेलिया में से 60 किस्में हैं। बगीचे को ढकने वाली घास दूब घास है, जिसे मुगल गार्डन में रोपने के लिए मूल रूप से कलकत्ता (अब कोलकाता) से लाया गया था। विवरण में कहा गया, उद्यान में लगभग 50 तरह के पेड़, झाड़ियां और लताएं हैं जिनमें मौलश्री वृक्ष, गोल्डन रेन ट्री, फूल वाले टार्च ट्री और कई अन्य शामिल हैं। वर्तमान में, राष्ट्रपति भवन के उद्यानों के विकास और रखरखाव के लिए 300 से अधिक स्थायी और अस्थायी कर्मचारी तैनात हैं।
मुगल गार्डन का इतिहास
राष्ट्रपति भवन के प्रसिद्ध उद्यानों का इतिहास फूलों के सुगंधित भंडार जितना समृद्ध है, और मुगल गार्डन राष्ट्रपति भवन (मूल रूप से वायसराय हाउस के रूप में निर्मित) के निर्माण के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे वास्तुकार सर एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था। वर्ष 1911 में, किंग जॉर्ज ने दिल्ली में एक भव्य दरबार आयोजित किया, जहां उन्होंने राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी घोषणा की थी। लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने वायसराय हाउस और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को नयी दिल्ली के केंद्र में रखकर नई शाही राजधानी को आकार दिया। शहर को आधिकारिक तौर पर 1926 में नामित किया गया था।
स्वतंत्रता के बाद, वायसराय हाउस राष्ट्रपति भवन बन गया और रायसीना हिल से इंडिया गेट तक फैले किंग्स-वे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया। शनिवार को मुगल गार्डन का नाम बदलने के बाद, राष्ट्रपति भवन सचिवालय ने भी अपनी वेबसाइट को अपडेट किया है, जिसमें प्रसिद्ध उद्यानों का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है। वेबसाइट पर विवरण में लिखा है कि 15 एकड़ में फैले अमृत उद्यान को अक्सर राष्ट्रपति महल की आत्मा के रूप में चित्रित किया गया है और यह इसके योग्य भी है। अमृत उद्यान जम्मू कश्मीर के मुगल उद्यानों, ताजमहल के आसपास के उद्यानों और भारत तथा फारस की लघु चित्रकला से प्रेरित है।
विवरण में कहा गया है कि सर एडविन लुटियंस ने 1917 की शुरुआत में ही बगीचों के डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया था। हालांकि, इसमें 1928-1929 के दौरान पौधारोपण किया गया था। उद्यानों के लिए लुटियंस के सहयोगी बागवानी के निदेशक विलियम मस्टो थे। बयान में कहा गया है कि जिस तरह राष्ट्रपति भवन की इमारतों में वास्तुकला की दो अलग-अलग भारतीय और पश्चिमी शैलियां हैं, उसी तरह, लुटियंस ने बगीचों के लिए मुगल शैली और अंग्रेजी शैली की दो अलग-अलग बागवानी परंपराओं को एक साथ लेकर काम किया। बयान में कहा गया है कि मुगलकालीन नहरों, बगीचों और फूलों की क्यारियों को यूरोपीय शैली के फूलों के बगीचों, लॉन के साथ खूबसूरती से मिश्रित किया गया है।
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