आनंद मोहन को जाना पड़ेगा जेल या बरकरार रहेगी राहत? SC में सुनवाई; जानें डीएम हत्याकांड से जुड़ी हर बात
Anand Mohan Case: सुप्रीम कोर्ट में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को लेकर मंगलवार को सुनवाई होनी है। डीएम हत्याकांड में आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी ने बाहुबली की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की है। ऐसे में क्या आनंद मोहन फिर से जेल जाएंगे? हालांकि इसे लेकर आनंद मोहन और बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है।
आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
Bihar DM Murder Case: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर हुई याचिका पर सुनवाई होगी। डीएम हत्याकांड के दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की बीते 27 अप्रैल को जेल से रिहाई हो गई थी। इसी के खिलाफ तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हालांकि आनंद मोहन और बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। अब दोनों ने हलफनामा दायर कर अदालत में अपनी बात रख दी है।
रिहाई के खिलाफ याचिका में क्या कहा गया?
IAS जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है, उसमें बिहार सरकार की ओर से जेल नियमावली में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है। याचिका में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई रद्द करने की मांग की गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया और जवाब तलब किया था।
DM जी कृष्णैया हत्याकांड से जुड़ी हर बात5 दिसंबर 1994- गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या हुई।
3 अक्टूबर 2007- आनंद मोहन समेत तीन को फांसी की सजा सुनाई गई, कुछ को उम्रकैद और अन्य 29 आरोपी बरी कर दिए गए।
10 दिसंबर 2008- आनंद मोहन की फांसी को पटना हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।
10 जुलाई 2022- हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया।
27 अप्रैल 2023- सहरसा जेल से बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई हुई।
1 अगस्त 2023- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आनंद मोहन ने अपना हलफनामा दाखिल किया।
बाहुबली आनंद मोहन के हलफनामे में क्या है?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आनंद मोहन और बिहार सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दिया। 1 अगस्त, 2023 को बाहुबली आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी रिहाई कानूनी तौर पर सही है। सरकार का ये निर्णय अवमानना का मामला नहीं है। सरकार ने उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए कोई कवायद नहीं की है। उन्होंने कोर्ट में ये कहा है कि उनकी रिहाई से पीड़िता के मूल अधिकारों को कोई हनन नहीं हुआ है।
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