Anand Mohan Singh: पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह ने किया सरेंडर, 27 अप्रैल को हो सकते हैं रिहा

Anand Mohan surrender

बिहार के पूर्व सांसद और हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मेहता सिंह की रिहाई से जुड़ी सभी औपचारिकता शुरू हो गई है वो सहरसा पहुंच गए हैं, बताते हैं कि आनंद मोहन वहां एक होटल में रूके फिर अपने समर्थकों से मुलाकात की, आनंद मोहन सिंह 15 दिन की पैरोल के बाद खुद को आत्मसमर्पण करने के लिए सहरसा जेल पहुंचे।

गौर हो कि बिहार सरकार ने हाल ही में उसके सहित 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति देते हुए जेल नियमों में संशोधन किया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन, राज्य की विभिन्न जेलों में 14 वर्ष से अधिक समय से बंद 26 अन्य कैदियों के साथ रिहा किये जाने वाले हैं।

इस संबंध में सोमवार देर शाम एक अधिसूचना जारी की गई थी, जब आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की सगाई के कार्यक्रम में थे, जो राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक हैं।आनंद मोहन अभी पैरोल पर जेल से बाहर हैं।

तेलंगाना में जन्मे IASअधिकारी कृष्णैया दलित समुदाय से थे

वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे तभी भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी।हत्या की घटना के वक्त आनंद मोहन मौके पर मौजूद थे, जहां वह दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा में शामिल हो रहे थे। शुक्ला की मुजफ्फरपुर शहर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

शुक्ला भूमिहार जाति से था, जबकि उससे सहानुभूति रखने वाले आनंद मोहन राजपूत जाति से आते हैं। वहीं कथित हत्यारे, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता बृज बिहारी प्रसाद से सहानुभूति रखने वाले बताये जाते हैं जो राबड़ी देवी सरकार में मंत्री थे, लेकिन कुछ वर्षों बाद (जून 1998 में) पटना के एक अस्पताल में उपचार कराने के दौरान गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी।

बेटे की शादी में शरीक होने को उत्सुक आनंद मोहन

देहरादून में अपने बेटे की शादी में शरीक होने को उत्सुक आनंद मोहन ने कहा, 'इन वर्षों के दौरान, अन्य लोग महज मूकदर्शक बने रहे। मेरी पत्नी लवली और जी कृष्णैया के परिवार ने पीड़ा सहन की। मुझे हैरानी है कि जेल से मेरी रिहाई पर शोरगुल कर रहे लोगों ने क्या कभी दिवंगत आईएएस अधिकारी के परिवार के सदस्यों के आंसू पोंछने की सोची।'

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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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