'ऑपरेशन अजय' पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर बोले-आज भारत मदद मांगता नहीं, देता है

Anurag Thakur on Operation Ajay: 'ऑपरेशन अजय' अभियान के बारे में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि बीते नौ सालों में सरकार ने ऐसे कई राहत एवं बचाव अभियान चलाए हैं। अब इस तरह का अभियान चलाने के लिए भारत किसी अन्य देश की मदद नहीं मांगता बल्कि दूसरे देशों को मदद करने की पेशकश करता है।

Anurag Thakur

इजरायल-हमास के बीच जंग जारी है।

Anurag Thakur on Operation Ajay: इजरायल में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार 'ऑपरेशन अजय' चला रही है। इस अभियान के तहत शुक्रवार सुबह 212 भारतीय सकुशल स्वदेश लौटे। इस अभियान के बारे में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि बीते नौ सालों में सरकार ने ऐसे कई राहत एवं बचाव अभियान चलाए हैं। अब इस तरह का अभियान चलाने के लिए भारत किसी अन्य देश की मदद नहीं मांगता बल्कि दूसरे देशों को मदद करने की पेशकश करता है।

बीते साढ़े नौ साल में कई सफल अभियान चलाए-ठाकुर

ठाकुर ने कहा, 'चाहे कोविड-19 संकट हो या यूक्रेन-रूस युद्ध या चाहे 'अरब स्प्रिंग', इन सभी जगहों से भारत अपने नागरिकों सुरक्षित निकालकर लाया है। बीते साढ़े नौ सालों में हमने इस तरह के कई मिशन सफलतापूर्वक चलाए हैं। हमने अपने नागरिकों को निकालने के अलावा दूसरे देशों के लोगों की भी मदद की। आज भारत मदद मांगता नहीं बल्कि दूसरों को मदद की पेशकश करता है।'

इजरायल से आए लोगों ने अनुभव बताए

इजरायल से भारत पहुंचे लोगों ने अपने वहां के अनुभव साझा किए। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे शोधकर्ता शाश्वत सिंह ने कहा कि उन सायरन की आवाज और बीते कुछ दिनों के भयावह अनुभव अभी भी उन्हें डरा रहे हैं। सिंह ने कहा, ''भारतीयों को सुरक्षित निकालना एक सराहनीय कदम है। हमें उम्मीद है कि शांति बहाल होगी और हम काम पर वापस लौटेंगे। भारत सरकार ईमेल के माध्यम से हमारे साथ संपर्क में थी। हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजरायल में भारतीय दूतावास के आभारी हैं।''

अस्थायी शिविरों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा-छात्र

घर वापस आने वाले कई विद्यार्थियों ने शनिवार की उस डरावनी रात को याद किया और बताया कि हमास के हमलों के मद्देनजर कैसे उन्हें बार-बार अस्थायी शिविरों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। पश्चिम बंगाल के निवासी और इजरायल के बीरशेबा में ‘बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ द नेगेव’ में पीएचडी के प्रथम वर्ष के छात्र सुपर्नो घोष विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे भारतीय समूह का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, ''हम नहीं जानते थे कि आखिर हुआ क्या। शनिवार को कुछ रॉकेट दागे गए लेकिन हम अस्थायी शिविरों में सुरक्षित थे। अच्छी बात यह थी कि इजरायली सरकार ने हर जगह शिविर बनाए हुए थे, इसलिए हम सुरक्षित थे।''

'हम चौबीसों घंटे दूतावास के संपर्क में थे'

जयपुर की रहने वाली मिनी शर्मा ने बताया, ''हालात बहुत ही डरावने थे। हम वहां नागरिक के तौर पर नहीं थे.. हम वहां सिर्फ विद्यार्थी के तौर पर थे। इसलिए जब भी सायरन बजता तो हमारे लिए हालात और डरावने हो जाते थे।'' इजरायल से निकालने के लिए विमान की सूचना प्राप्त होने के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, '' एक दिन पहले ही इसकी सूचना मिली थी।'' शर्मा ने बताया, ''भारतीय दूतावास से संदेश प्राप्त होने के बाद हमने कल (बृहस्पतिवार) सुबह ही हमारा सामान पैक किया था। वे बहुत मददगार हैं। हम चौबीसों घंटे उनके संपर्क में थे।''

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